Ranchi : रांची पुलिस की लापरवाही से तीन युवकों की जिंदगी बर्बाद हो गयी है. पुलिस के लापरवाह रवैये के कारण अजित, अमरजीत और अभिमन्यु नाम के तीन युवकों को ऐसे जुर्म में जेल में रखा गया जो उन्होंने किया ही नहीं था. जिन निर्दोष युवकों को 6 महीने जेल की सलाखों के पीछे रखा गया, उनमें से एक अजित ने आईटीबीपी में कॉन्स्टेबल के पद पर भर्ती के लिए परीक्षा में शामिल हुए थे. उसने दौड़ निकाल लिया था और लिखित परीक्षा भी पास कर ली थी. जिसके बाद उसका मेडिकल होना था, लेकिन मेडिकल होने से दो दिन पहले पुलिस ने अजित को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया और जेल जाते ही उसका नौकरी करने का सपना सलाखों के पीछे दम तोड़ दिया.
बेगुनाहों ने जो समय जेल में बिताया, उसकी कौन करेगा भरपाई
अमरजीत ने जेल में रहते हुए ग्रेजुएशन की परीक्षा दी. लेकिन जेल से निकलने के बाद वह रांची छोड़ कर बिहार चला गया ताकि नये जीवन की शुरुआत कर सके. वहीं अभिमन्यु एक ड्राइविंग सेंटर पर लोगों को कार ड्राइविंग सीखा रहा है. लेकिन इन सबके बीच सवाल यह उठता है कि इस तीनों बेगुनाहों ने जो समय जेल में बिताया उसकी भरपाई कौन करेगा. हालांकि झारखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार के गृह विभाग को यह निर्देश दिया है कि पीड़ित युवक अजित को हर्जाने के तौर पर पांच लाख रूपये दिये जाये.
अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म और हत्या कर शव को जलाने के आरोप में पुलिस ने तीनों को किया था गिरफ्तार
यह घटना वर्ष 2014 की है. 15 फरवरी 2014 को रांची के चुटिया की रहने वाली प्रीति नाम की एक युवती लापता हो गयी थी. घटना के दूसरे दिन 16 फरवरी 2014 को बुंडू थाना क्षेत्र स्थित मांझी टोली पक्की रोड के पास एक युवती का शव जली हुई हालत में बरामद हुआ था. पुलिस ने प्रीति के परिजनों से इस शव की पहचान करने को कहा. कद-काठी लगभग एक जैसी होने के कारण परिजनों ने आशंका जतायी कि यह शव प्रीति का होगा. जिसके बाद पुलिस ने बिना डीएनए मैच कराये यह मान लिया कि शव प्रीति का है. इस मामले में पुलिस ने धुर्वा के तीन युवकों को गिरफ्तार भी किया. जिसका नाम अजित कुमार, अमरजीत कुमार व अभिमन्यु उर्फ मोनू है. तीनों युवकों को 17 फरवरी 2014 को जेल भेज दिया गया. जिसके बाद 15 मई 2014 को रांची पुलिस ने तीनों के खिलाफ अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म और हत्या कर के जलाने के मामले में आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया था. तीनों युवक इनकार करते रहे कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं. लेकिन पुलिस ने उनकी नहीं सुनी. सीआईडी की जांच के बाद इस केस के अनुसंधानकर्ता सुरेंद्र कुमार, तत्कालीन चुटिया थाना प्रभारी कृष्ण मुरारी और तत्कालीन बुंडू थाना प्रभारी संजय कुमार निलंबित किया गया था. जांच में यह बात साबित हुई थी कि इन तीनों ने बिना सही अनुसंधान के तीनों छात्रों को गिरफ्तार किया और उन्हें जेल भिजवा दिया.
HC ने राज्य सरकार के गृह विभाग को पांच लाख का मुआवजा देने का दिया निर्देश
झारखंड हाईकोर्ट ने प्रीति हत्याकांड केस में जेल में रहे युवक की याचिका पर सुनवाई की. प्रार्थी अजीत कुमार की ओर से मुआवजा दिये जाने और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि बिना सही जांच के किसी को जेल में रख देना सही नहीं है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार के गृह विभाग को यह निर्देश दिया है कि पीड़ित युवक को हर्जाने के तौर पर पांच लाख रूपए दिये जाये. अजित की ओर से अधिवक्ता आकाश दीप ने पक्ष रखा. इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजय द्विवेदी की अदालत में हुई.