रांची फ़्रांसीसी फ़्रांसीसी स्मार्टफ़ोन में नहीं दिख रहे विशेष रुचि

स्मार्टफ़ोन में नहीं दिख रहे विशेष रुचि

Update: 2023-09-28 06:22 GMT
झारखण्ड  अच्छा वक्ता होना या पढ़ा-लिखा विद्वान होना एक बात हो सकती है, लेकिन अच्छी पुस्तकों से दोस्ती करना और निरंतर पढ़ाई करना सबके बस की बात नहीं है. हर व्यक्ति में लिखने-पढ़ने की प्रवृत्ति भी नहीं होती है. यह बात झारखंड विधानसभा के पुस्तकालय में माननीयों के पुस्तक प्रेम और पुस्तकालय की सदस्यता की संख्या देखकर प्रमाणित होती है. 82 सदस्यों (एक मनोनीत) वाली विधानसभा में मात्र नौ माननीय ही पुस्तकालय के सदस्य हैं. लाइब्रेरी में 16 हजार से ज्यादा पुस्तकें उपलब्ध हैं. इसी साल मार्च में 800 पुस्तकें खरीदी गई हैं. 400 और पुस्तकें खरीदने की प्रक्रिया चल रही है. कानून, साहित्य, कला, संस्कृति, संविधान, राजनीति, इतिहास, भूगोल, पत्रकारिता और विधायी व्यवस्था से लेकर झारखंड से जुड़ी हर विधा की पुस्तकें यहां उपलब्ध हैं. पुस्तकालय में पुस्तकों के अलावा पत्र और नियमित रूप से आती हैं. इसके बावजूद माननीयों की इसमें कम रुचि चिंताजनक है.
सदस्य पुस्तक प्रेमी, जो तर्क, तथ्य व आंकड़े रखते हैं
सबसे दिलचस्प बात यह है कि झारखंड विधानसभा के वैसे माननीय जो सदन में बहस और चर्चा के दौरान तर्क, तथ्य, आंकड़े और ज्ञान का समावेश रखते हैं, अधिकतर वैसे ही सदस्य पुस्तकों के प्रेमी हैं. विधानसभा पुस्तकालय के सदस्यों में वर्तमान वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव, पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक सरयू राय, प्रदीप यादव, विनोद कुमार सिंह, दीपिका पांडेय सिंह, डॉ लंबोदर महतो, अंबा प्रसाद, पूर्णिमा नीरज सिंह और आलोक चौरसिया शामिल हैं.
किनकी किन पुस्तकों में ज्यादा रुचि
विधानसभा के सदस्यों में विधायक विनोद कुमार सिंह ने कैफी आजमी की लिखित मेरी आवाज सुनो लो, लंबोदर महतो ने संसदीय व्यवस्था, विधायक आलोक चौरसिया ने झारखंड की जानकारी के लिए झारखंड परिदृष्य, दीपिका पांडेय सिंह ने साहित्य की पुस्तक जहाज के पंछी, मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने प्रोसीडिंग ऑ़फ पार्लियामेंट, विधायक सरयू राय ने रामधारी सिंह दिनकर की पुस्तकें अपने नाम आवंटित कराई है. पुस्तकों के नाम माननीयों की रुचि को प्रतिबिंबित करता है. माननीयों को साहित्य, संविधान और राजनीति की पुस्तकों से ज्यादा लगाव है.
ई-ग्रंथालय बनेगा पुस्तकालय
झारखंड विधानसभा का पुस्तकालय को जल्द ही ई-ग्रंथालय में परिवर्तित किया जायेगा. पुस्तकालय प्रबंध समिति के पदाधिकारी संयुक्त सचिव मधुकर भारद्वाज ने बताया कि पिछले दो सालों से इसकी कवायद जारी है. ई-ग्रंथालय बनते ही यहां की पुस्तकें देश-दुनिया में कहीं से पढ़ी जा सकेंगी. वहीं दूसरे राज्य के सरकारी पुस्तकालय की पुस्तकें यहां से पढ़ी जा सकेंगी.
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