Ranchi: दो व्यक्ति की मौत मामले में भारत सरकार और डीजीपी से शिकायत

Update: 2024-09-26 05:31 GMT
Ranchi रांची : आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय के दो लोगों की मौत मामले में भारत सरकार और डीजीपी से शिकायत की गयी है. यह मामला हजारीबाग जिले के केरेडारी प्रखंड स्थित एनटीपीसी के चट्टी बरियातू कोल परियोजना की है. जहां नियुक्त माइन डेवलपर और ऑपरेटर रित्विक के माध्यम से पगार गांव के बिरहोर बस्ती के समीप किये जा रहे खनन कार्य के दुष्प्रभाव से अनुसूचित जनजाति की नाबालिक किरणी बिरहोर और बहादुर उर्फ दुर्गा बिरहोर की मौत हो गयी. इस मामले में मधु कोड़ा मंत्रिमंडल के मंत्रियों को जेल भिजवाने वाले झारखंड के पीआईएल मैन दुर्गा मुंडा ने भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय और डीजीपी से शिकायत कर दोषियों पर कानूनी कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है. दुर्गा मुंडा ने एनटीपीसी और उसके एमडीओ रित्विक के अलावा स्थानीय प्रशासन की भूमिका को काफी संदेहास्पद बताते हुए जिला खनन पदाधिकारी, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हजारीबाग के क्षेत्रीय पदाधिकारी, केरेडारी अंचलाधिकारी व थाना प्रभारी पर कार्रवाई के लिए कहा है.
जांच कमिटी की अनुशंसा के आधार पर जिला प्रशासन पर खड़े किये गंभीर सवाल
दुर्गा मुंडा ने आदिम जनजाति की किरणी बिरहोर और बहादुर उर्फ दुर्गा बिरहोर की मौत मामले में अनुमंडल पदाधिकारी की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय जांच दल का हवाला देते हुए जिला प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े किये हैं. रिपोर्ट में एनटीपीसी द्वारा खनन कार्य बिरहोर टोला, पगार से सटे हुए क्षेत्र में किया जा रहा है. इस क्षेत्र में खनन और परिवहन का कार्य होने के कारण बहुत अधिक धूलकण हवा में विद्यमान हैं, जिससे प्रदूषण की गंभीर समस्या उत्पन्न हुई है और पगार बिरहोर टोला के निवासियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. प्रदुषण के कारण स्वांस एवं अन्य बिमारियों की संभावना बनी हुई है. साथ ही माइनिंग करने के लिए विस्फोट किया जाता है, जिसके कारण कोई भी बड़ी दुर्घटना घट सकती है. जांच दल ने जांच रिपोर्ट के मंतव्य में यह लिखा है कि जब तक बिरहोर परिवारों का पगार बिरहोर टोला से अन्यत्र आवासित नहीं किया जाता है, तब तक बिरहोर टोला के आसपास माइनिंग का कार्य करना सही नहीं है. इसके बावजूद अबतक खनन कार्य किया जा रहा है. इस परिस्तिथि में लोगों की हुई मौत के बाद भी under section 174(3) of the code of criminal proce,1973 (CRPC) के तहत पोस्टमार्टम नहीं किया जाना मौत के कारणों को छिपाने और दोषियों को बचाने के लिए किया जाना बताया है.
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