महुआडांड़ प्रखंड में हर घर में शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए साल 2018-19 में लोध ग्रामीण जलापूर्ति योजना शुरू हुई थी. योजना की कुल लागत 44 करोड़ रुपये थी. पांच साल गुजर जाने के बाद भी योजना पूरी नहीं हुई. योजना से प्रखंड के सात पंचायतों के 38 गांवों में जलापूर्ति करने का लक्ष्य रखा गया था. ग्रामीणों से कनेक्शन के नाम पर 100-100 रुपये भी लिये गये थे. लेकिन आज भी कई पंचायतों में पानी नहीं पहुंचा है.
महुआडांड़ शहर के मुख्य बाजार से सटे दीपाटोली में आज भी आधा-अधूरा कनेक्शन किया गया है. दीपाटोली में आधी जगहों पर पानी की सप्लाई की जा रही है. वहीं आधी में पानी की सप्लाई नहीं हो पा रही है. यहां करीब 120 घर हैं और आबादी तकरीबन 500 की है. ग्रामीण बताते हैं कि कई घरों में पाइप लाइन पहुंचा दिया गया है, लेकिन पानी की आपूर्ति शुरू नहीं हो पायी. तत्कालीन उपायुक्त अबु इमरान ने इस जलापूर्ति योजना का निरीक्षण किया था और इसे सुचारू रूप से चलाने का निर्देश दिया था. हामी पंचायत के मुखिया प्रदीप बड़ाईक ने कहा कि योजना अभी तक चालू नहीं हो सका है. ग्रामीण बार-बार मुझसे सवाल करते हैं कि कब तक पानी मिलेगा. मैंने कई बार विभाग से इस संबंध में बात की है, लेकिन हर बार टाल मटोल जवाब मिलता है.
शहर के सभी वार्डों में नल-जल योजना के तहत पानी देने की योजना थी. नल लगाने का काम तो बहुत तेजी से सभी वार्डों में पूरा कर लिया गया. क्योंकि इस पर करोड़ों रुपये खर्च करने थे. खर्च करने में बिल्कुल देरी नहीं हुई. एलएनटी कंपनी को टेंडर मिला था. लेकिन उन नलों से आज तक पानी की एक बूंद भी नहीं निकली.
पानी की समस्या से लोगों को जल्द मिलेगी मुक्ति
वार्ड नंबर 25 के कुम्हार टोली में दो साल पहले नल लगाने का काम पूरा कर लिया गया था. लोग तभी से पानी आने का इंतजार कर रहे हैं. इस वार्ड में करीब 650 मकान है, जिसमें करीब 8000 परिवार रहते हैं. नल लगाने का काम नगर निगम की देख-रेख में किया गया. कोनार डैम से पानी शहर तक लाने की जिम्मेवारी भी एलएनटी कंपनी की है. दो साल बीत जाने के बाद भी लोगों को पानी नहीं मिल सका है. लोगों को पानी कब मिलेगा, इसकी जानकारी के लिए हमने नगर निगम के सहायक आयुक्त से बात की. उन्होंने बताया कि एलएनटी कंपनी को काम करना था और पानी पहुंचाना था. यह काम अभी चल रहा है. आने वाले दिनों में पानी की समस्या से लोगों को मुक्ति मिलेगी.
छतरपुर में पाइप लाइन बिछाये बिना खड़ी कर दी जल मीनार
बारिश के लिए रेन शैडो क्षेत्र माने जाने वाले इलाके का प्यासा शहर है छतरपुर. मार्च से जून-जुलाई महीने तक, साल के पांच महीने यहां की आधी आबादी पीने और नहाने का पानी जुगाड़ करने में बिता देती है. 10 रुपये कनस्तर पानी खरीदना या आधी रात के बाद से ही पेयजल स्रोतों पर पानी के लिए कतार लगाना, लोगों की नियति हो गयी है शायद! छतरपुर नगर पंचायत है, लेकिन कोई सिस्टम, कोई सरकार, कोई जनप्रतिनिधि, इस नगर में व्याप्त पेयजल किल्लत को दूर करने की ईमानदार कोशिश करते नहीं दिखते. इस साल तो, नगर पंचायत ने भी हाथ खड़े कर दिये और कुछ टैंकरों से जो पानी की आपूर्ति होती थी, उसे संसाधन का रोना रोकर बंद कर दिया.
पांच वर्ष के बाद भी सोन नदी से नहीं मिला पानी
वर्ष 2009 में तत्कालीन विधायक सुधा चौधरी ने हुसैनाबाद के देवरी स्थित सोन नदी से पाइप लाइन के जरिये छतरपुर सहित 34 गांवों में में पानी पहुंचाने की मांग विधानसभा में की थी. इन गांवों में 75 हजार लोग रहते हैं. वर्ष 2015-16 में सोन नदी पाइप लाइन योजना की स्वीकृति मिली. 15 जनवरी 2019 को पलामू सांसद वीडी राम और तत्कालीन विधायक राधा कृष्ण किशोर के प्रयास से 68 करोड़ की लागत वाली इस योजना का शिलान्यास हुआ. पांच वर्ष बीत गए, पर पाइप लाइन बिछाने का काम पूरा नहीं हुआ है. यह अलग बात है कि लठेया, खेंद्रा और छतरपुर में जल मीनार बन कर तैयार है.
दूषित पानी पीने को ग्रामीण विवश
जल जीवन मिशन योजना प्रखंड क्षेत्र के सभी पंचायत क्षेत्रों में संचालित किया गया है. कई पंचायतों में इसका लाभ लोगों को मिल रहा है. लेकिन कई इलाके ऐसे भी हैं, जहां लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. प्रखंड की चकला पंचायत के पांच टोला वाले अरंडियाटांड़ गांव में करीब 80-85 घर हैं. आबादी तकरीबन 500 है. गांव के तीन टोला के लोग आज भी खुले कुंआ का दूषित और मटमैला पानी पीते हैं. इनमें एक-दो कुएं ऐसे भी हैं, जो गर्मी पड़ते ही सूख जाते हैं. ऐसे में ग्रामीणों को पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है. एक टोला के लोग विद्यालय में लगे चापाकल पर आश्रित हैं. इस संबंध में हमने पेयजल व स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता से बात की. उन्होंने जांचोपरांत सोलर जलमीनार स्थापित कर पानी उपलब्ध कराने की बात कही