शहर के मंदिरों में चढ़े फूल-पत्तों से बनेगी जैविक खाद

Update: 2023-07-13 10:05 GMT

जमशेदपुर न्यूज़: लौहनगरी के शिवालयों में चढ़ाए जाने वाले फूल-पत्ते व सूखी सामग्रियों को बायो कंपोस्ट (जैविक खाद) में परिवर्तित करने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए शहर के शिवालयों से सूखे फूलों को संग्रह कर जुबली पार्क में बने हर्टिकल्चर में जैविक खाद बनाई जाएगी. इसका प्रयोग बागों में खाद के लिए किया जाएगा.

जुबली पार्क के पास हॉर्टिकल्चर सोसायटी जमशेदपुर की ओर से प्रत्येक वर्ष पुष्प प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जाता है. जहां देश भर से पुष्प विशेषज्ञ और पुष्प प्रेमी आते हैं. हर प्रकार के फूल, पौधों को देखने, समझने और खरीदने के लिए यहां देश भर से लोग आते हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पूर्वी सिंहभूम जिले में 936 हेक्टेयर भूमि पर फल-फूल की खेती होती है.

इन जगहों पर जैविक खाद का इस्तेमाल किया जाएगा. वहीं, सोनारी के रिसाइक्लिंग प्लांट में भी जैविक खाद बनाने की तैयारी की जा रही है. शहर के सैकड़ों शिवालयों में चढ़े हुए फूलों को इकह्वा रखने को कहा गया है. जेएनएसी की गाड़ियां जाकर फूलों को इकह्वा करेगी और जुस्को अपने बायो कंपोस्ट प्लांट में लेकर चली जाएगी, जबकि आवश्यकता के अनुसार बाकी फूल-पत्तियों को जेएनएसी अपने छोटे से बायो कंपोस्ट प्लांट सोनारी लेकर जाएगी. सोनारी बायो कंपोस्ट प्लांट को आउटसोर्स किया गया है.

निकायों की ओर से शिवालयों में चढ़े हुए फूलों को नदियों में नहीं फेंकने की अपील की गई. इसे एक जगह रखने की सलाह दी गई है, ताकि नदी प्रदूषित न हो. शिवालयों के प्रतिनिधियों को फूलों से खाद बनाने की विधि का प्रशिक्षण भी दिया गया है. शहर के शिवालयों में हर दिन तीन टन से अधिक सूखे फूल इकह्वा होते हैं, जिन्हें बॉयो कंपोस्ट में ले जाने की तैयारी की गई है.

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