झारखंड में एकतरफा घोषणाएं हो रही, कांग्रेस की नहीं दिखती कोई भागीदारी, 2024 की लड़ाई नहीं जीत पाएंगे: नेता सुबोधकांत सहाय

गिरिडीह में कांग्रेस पार्टी के चल रहे चिंतन शिविर के दूसरे दिन वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुबोधकांत सहाय ने गठबंधन सरकार को लेकर एक बड़ा सवाल उठाया है.

Update: 2022-02-21 09:06 GMT

रांची : गिरिडीह में कांग्रेस पार्टी के चल रहे चिंतन शिविर के दूसरे दिन वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुबोधकांत सहाय ने गठबंधन सरकार को लेकर एक बड़ा सवाल उठाया है. उन्होंने कहा है कि हमें देखना होगा कि राज्य में पिछले 2 साल के काम के बाद हम कहां खड़े हैं. इस दौरान न कॉमन मिनिमम प्रोग्रामन बना, न ही समन्वय समिति. जो घोषणाएं हो रही है, वह एकतरफा हो रही है. कांग्रेस की कोई भागीदारी नहीं हैं. क्या ऐसा गठबंधन से हमारा संगठन बचा पाएगा. सुबोधकांत ने कहा कि कल अगर समन्वय समिति बन भी जाये, तो उसकी रुपरेखा क्या होगी. अगर हम यह तय करेंगे, तभी हम कह पाएंगे कि यह सरकार हमारी है. अगर ऐसा नहीं होता है, तो ऐसे गठबंधन और समन्वय से हम 2024 की लड़ाई नहीं लड़ पाएंगे.

देश में साम्प्रदायिक शक्तियां हो रही हावी, जरूरी है कि गैर बीजेपी दलों को हम एकत्रित करें.
इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री ने साम्प्रदायिक शक्तियों की बात की. कहा कि आज देश की हालत काफी बुरी है. देश में हर चीज बिक रहा है. आजादी के 75 वर्षों में जो शहादत दी गयी, उसपर आज खतरा आ गया है. आज देश में साम्प्रदायिक शक्तियां हावी हो गयी है. यह सवाल बनता है कि इन साम्प्रदायिक शक्तियों से लड़ने के लिए किसके साथ गठबंधन किया जाये. ऐसे में राष्ट्रीय नेत़ृत्व की यह जिम्मेवारी है कि गैर बीजेपी दलों को कैसे एकत्रित करें और देश को बचाये. हमारे नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने हाल के दिनों गठबंधन का प्रयास किया कि वह सराहनीय है.
कांग्रेस की जमीन पर दखल देने का प्रयास कर रही क्षेत्रीय पार्टियां
क्षेत्रीय दलों की प्राथमिकता पर सवाल उठाते हुआ कहा कि आज देश में क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व है. यह सच्चाई है. उनके साथ हमारा संघर्ष भी है. हिस्सेदारी की लड़ाई है. क्योंकि वे कांग्रेस की जमीन पर दखल देना चाहते हैं. लेकिन उनकी सोच सीमित है. जिस तरह से राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आंख में आंख डाल कर लड़ रहे हैं, तो दूसरी और क्षेत्रीय दलों की प्राथमिकता यह नहीं है. सुबोधकांत सहाय ने कहा कि आज देश के लोगों की यह अपेक्षा नहीं है कि सरकार बने बल्कि अपेक्षा यह है कि राष्ट्रीय स्तर पर देश को बचाया जा सके.


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