6 महीने से लंबित वेतन की मांग को लेकर अधिकारियों को बंधक बना लिया

HEC में 6 महीने से वेतन नहीं मिलने के कारण आक्रोशित मजदूरों का गुस्सा अधिकारियों पर फूट पड़ा. सोमवार को HEC Workers ने अधिकारियों को लगभग 6 घंटे तक कमरे में कैद कर दिया.

Update: 2021-11-30 07:19 GMT

जनता से रिश्ता। HEC में 6 महीने से वेतन नहीं मिलने के कारण आक्रोशित मजदूरों का गुस्सा अधिकारियों पर फूट पड़ा. सोमवार को HEC Workers ने अधिकारियों को लगभग 6 घंटे तक कमरे में कैद कर दिया. इतना ही नहीं इस दौरान मजदूरों ने अधिकारियों को शौचालय तक जाने के लिए कमरा नहीं खोला.एचईसी में मजदूरों को 6 महीने से वेतन नहीं मिल रहा है. जिससे मजदूरों के सब्र का बांध टूटता जा रहा है. आए दिन मजदूर आंदोलन कर अपने वेतन की मांग कर रहे हैं. लेकिन लंबित वेतन का निष्पादन नहीं हो पा रहा है. सोमवार को एचईसी के एचएमटीपी ब्रांच में मजदूरों ने अधिकारियों को लगभग छह घंटा के लिए बंधक बना लिया. जीएम एके बेहरा सहित सीनियर मैनेजर को घंटों तक बंधक बना कर रखा और अपने बकाए वेतन के जल्द भुगतान की मांग की. काफी वक्त बाद सीआईएसएफ के हस्तक्षेप और ढेड़ महीने का वेतन भुगतान के आश्वासन पर मजदूर शांत हुए और बंधकों को आजाद किया.

सोमवार को कंपनी के सीनियर मैनेजर एचएमटीपी प्लांट में शॉप विजिट पर आए थे. जहां वो प्लांट का निरीक्षण कर रहे थे तभी मजदूरों ने करीब पांच अधिकारियों को धक्का देकर कमरे में बंद कर दिया. मिली जानकारी के मुताबिक सुबह 10:30 बजे के आसपास जीएम एके बेहरा सहित सीनियर मैनेजर, सीनियर डीजीएम एचएमटीपी प्लांट में शॉप विजिट के लिए आए थे. अधिकारियों के प्लांट में आने की सूचना जब श्रमिकों को मिली तो वो इकट्ठा हुए और जैसे ही एक कमरे के पास सभी अधिकारी खड़े हुए उन्हें धक्का देकर कमरे में बंद कर दिया.
कई घंटे बीत जाने के बाद अधिकारी शौचालय जाने के लिए कमरा खोलने का आग्रह करते रहे लेकिन आक्रोशित मजदूरों ने कमरा नहीं खोला. जब इसकी सूचना सीआईएसएफ और हेड क्वार्टर को मिली तो सीआईएसएफ कमांडेंट और हेड क्वार्टर से मानव संसाधन विभाग और पर्सनल विभाग के अधिकारी पहुंचे. जहां एचईसी प्रबंधन के अधिकारियों से मिले आश्वासन के बाद आक्रोशित मजदूर शांत हुए और सभी बंधक बनाए अधिकारियों को छोड़ा. मजदूरों को शांत कराने आए अधिकारियों ने आश्वासन देते हुए कहा कि आगामी 3 दिसंबर को डेढ़ महीने का वेतन भुगतान कर दिया जाएगा. जिसके बाद आक्रोशित श्रमिकों और मजदूरों ने दरवाजा खोला.


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