नर्सरी को बनाया रोजगार का साधन, फिर 10-12 महिलाओं को दिया नौकरी
जज्बा और काम करने की लगन हो, तो कोई भी काम शुरू कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं. इसके साथ ही जरूरतमंदों को रोजगार भी दे सकते हैं. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है
जनता से रिश्ता। जज्बा और काम करने की लगन हो, तो कोई भी काम शुरू कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं. इसके साथ ही जरूरतमंदों को रोजगार भी दे सकते हैं. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है जिले के पेटरवार के रहने वाले पिंटू अग्रवाल ने. पिंटू अग्रवाल ने पेटरवार में अकेले नर्सरी का व्यवसाय शुरू किया और आज 10 से 12 महिलाओं को रोजगार दिया है.
पिंटू के इस नर्सरी से रांची, रामगढ़, हजारीबाग के साथ साथ बोकारो के लोग फूल और फल के पौधे की खरीदारी करने पहुंचते हैं. लोगों बताते हैं कि पिंटू के नर्सरी में उम्दा किस्म के पौधे मिलते हैं, जिसमें फल और फूल अच्छे लगते हैं. यही वजह है कि दूर-दूर से लोग पौधा खरीदने आते हैं.
नर्सरी में 20 हजार से अधिक पौधा
पिंटू अग्रवाल कहते हैं कि 5-6 वर्ष पहले एक छोटी सी जगह में नर्सरी शुरू किया. इस नर्सरी में 500 पौधे रखते थे. इसके बाद पेटरवार चौक पर दौ सौ पौधा रखकर बेचने लगे. उन्होंने बताया कि व्यवसाय को बढ़ाते हुए डेढ़ एकड़ जमीन किराए में ली, जिसमें नर्सरी है. इस नर्सरी में 20 हजार से अधिक पौधा है, जो फल- फूल के हैं.
मजदूरों को 10 से 20 हजार की आमदनी
उन्होंने कहा कि इस नर्सरी के माध्यम से 10 से 12 गरीब आदिवासी महिलाओं को रोजगार दिया हैं, जो अपने घर- परिवार का भरन-पोषण कर रही है. इन महिलाओं को प्रति महीने 10 से 20 हजार रुपये की कमाई हो जाती है. नर्सरी में काम करने वाली महिला रतनी कुमारी कहती हैं कि पहले कोई काम नहीं था, लेकिन नर्सरी होने से काम मिल गया. अब नर्सरी नहीं आते हैं, तो घर में मन नहीं लगता है.
घूम कर पौधा खरीदना लगता है अच्छा
वहीं, पौधा लेने आई महिला सूची स्मिता ने बताया कि पिछले कई वर्षों से पिंटू के नर्सरी से पौधा खरीद रहे हैं. यहां से जिस चिज का पौधा ले जाते है, वहीं पौधा होता है. उन्होंने कहा कि नर्सरी बड़ा होने से घूम कर पौधा खरीदने में अच्छा लगता है. पौधे की खरीदारी करने पहुंचे शिक्षक अजय कुमार सिंह ने बताया कि पिंटी के नर्सरी में पौधे का कलेक्शन काफी है. इस नर्सरी में आकर मनपसंद पौधा मिल जाता है. उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में कहीं फूल मिले या ना मिले, लेकिन पिंटू के नर्सरी में पौधा जरूर मिलता है. पौधा बेचने वाले भूषण कहते है कि बाजार से ऑर्डर लेकर नर्सरी से पौधा ले जाकर बेचते है, जिससे कुछ आमदनी हो जाती है.