नक्सलियों के बंद ऐलान का खूंटी शहर में नहीं दिखा कोई असर

भाकपा माओवादियों ने तीन दिनों का झारखंड, बिहार, उत्तरी छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में बंद का आह्वान किया है. झारखंड के खूंटी में पहली बार माओवादी बंद का कोई खास असर देखने को नहीं मिला है.

Update: 2021-11-23 11:32 GMT

जनता से रिश्ता। भाकपा माओवादियों ने तीन दिनों का झारखंड, बिहार, उत्तरी छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में बंद का आह्वान किया है. झारखंड के खूंटी में पहली बार माओवादी बंद का कोई खास असर देखने को नहीं मिला है. जिले के शहरी इलाकों में लगभग सभी प्रतिष्ठान और दुकानें खुली हैं. नक्सल प्रभावित तोरपा में भी दुकान खुली हुई हैं. जबकि कर्रा, अड़की, रनिया और मुरहू प्रखंड क्षेत्र पूरी तरह बंद है. सड़कें सुनसान है. वहीं रांची-टाटा एनएच-33 भी पूरी तरह बंद है.

खूंटी जिले में आवागमन पहले की तरह जारी है. लंबी दूरी की बसों को छोड़कर लगभग सभी प्रकार के वाहन सड़कों पर चल रही है. पुलिस बंद को लेकर पूरी तरह मुस्तैद है. रांची-टाटा मार्ग पर भी पुलिस जगह-जगह तैनात है. जबकि खूंटी जिले के जंगलों में सीआरपीएफ, जगुआर, सैट और कोबरा के जवान अभियान में लगे हैं.
भाकपा माओवादियों ने कामरेड किशन जी (प्रशांत बोस) और कामरेड शीला मरांडी सहित छह लोगों की गिरफ्तारी के विरोध में बंद का आह्वान किया है. माओवादियों ने 23 से 25 नवंबर तक बिहार, झारखंड, उत्तरी छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश बंद को सफल बनाने की अपील की है. कुछ जगहों पर माओवादियों ने बैनर पोस्टर लगाकर दहशत फैलाने की भी कोशिश की है. बैनर पोस्टर में कामरेड पर पुलिसिया बर्बरता और हत्या के प्रयास की बातें लिखी है. वहीं माओवादियों ने गढ़चिरौली में पुलिस द्वारा 26 माओवादियों की हत्या करने समेत तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलनकारियों की मौत के विरोध में बंद को सफल बनाने की अपील की है.
जिले के अड़की प्रखंड के बोहोंडा और कोचांग पंचायत क्षेत्रों में एक बार फिर नक्सली सक्रिय हो गए हैं. रविवार को नक्सलियों ने कोचांग कैंप को निशाना बनाया था. लेकिन पुलिस की सक्रियता के कारण नक्सलियों को पीछे हटना पड़ा था. कैम्प पर हमला करने पहुंचे नक्सलियों और जैप जवानों के बीच ताबड़तोड़ फायरिंग भी हुई थी. घटना के बाद से इलाके में दहशत है.


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