बच्चों को 20 हजार रुपये में मानव तस्करों को बेच रहा मामा-मामा
नौकरी का लालच
राँची: हर साल झारखंड से सैकड़ों नाबालिग लड़के-लड़कियों की मानव तस्करी की जाती है। स्याह सच यह है कि इसमें मामा-मौसी, चाचा जैसों रिश्तेदारों के अलावा गांव के ही पहचान वाले नाबालिगों को ट्रैफिकिंग (मानव तस्करी) का शिकार बना रहे हैं। वह भी 10 से 20 हजार रुपए लेकर। हालात ये हैं कि नाबालिग बच्चों और उनके माता-पिता को 15 से 20 हजार रुपए की नौकरी दिलाने का लालच देकर गांव के ये दलाल मानव तस्करों के हाथों बेच रहे हैं।
मानव तस्कर इन मासूमों को दिल्ली, चेन्नई, तमिलनाडु, हरियाणा जैसे बड़े शहरों में ले जाकर सौदा कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश नाबालिगों की उम्र 17 साल से भी कम है। शनिवार को पलामू में ट्रेन से बरामद 8 नाबालिगों और दिल्ली से रेस्क्यू कर रांची लाए गए तीन नाबालिगों ने यह खुलासा किया।
झारखंड पुलिस के आंकड़ों बताते हैं कि हर साल 500 से अधिक नाबालिगों को काम दिलाने के नाम पर रिश्तेदार या पहचान वाले बड़े शहरों में ले जाकर सौदा कर रहे हैं। 8 वर्षों में राज्य से 5086 नाबालिग लापता हुए। इनमें से 4,264 को पुलिस ने बरामद किया, पर 822 का कोई पता नहीं चल सका है।