Lohardaga : एकांतवास से बाहर आये महाप्रभु, हुआ नेत्रदान

Update: 2024-07-06 13:32 GMT
Lohardaga लोहरदगा : भंडरा में ऐतिहासिक रथ यात्रा को लेकर प्रशासन सजग है. यहां पर भगवान जगन्नाथ प्रभु 15 दिनों के एकांतवास के बाद शनिवार को भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ बाहर आये .उनके आगमन की खुशी में नेत्रदान अनुष्ठान किया गया. इसके बाद भगवान भक्तों को दर्शन दिए. 108 दीपों से भगवान की मंगल आरती, जगन्नाथ, अष्टकम, गीता के द्वादश अध्याय का पाठ और भगवान की स्तुति की गई. मालपुआ सहित अन्य मिष्ठानों का भोग लगाया गया. भगवान रविवार की सुबह
भक्तों को दर्शन मंडप में दर्शन देंगे.
भंडरा में ऐतिहासिक रथ यात्रा है. भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा को भक्तजन रथ पर बैठाकर सवारी कराएंगे. यहां पर सुबह चार बजे से ही भक्तजन भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा की पूजा के लिए कतारबद्ध होने लगेंगे. इस बीच दोपहर एक बजे के बाद भगवान को बारी-बारी से रथारूढ़ किया जायेगा. रथ के ऊपर भगवान के सभी विग्रहों का शृंगार होगा. विष्णु सहस्त्रनाम अर्चना होगी. इस अनुष्ठान के बाद विष्णु सहस्त्रनाम अर्चना और मंगल आरती होगी. फिर रथ में रस्सा बंधन होगा और दोपहर दो बजे रथयात्रा शुरू होगी. सभी भक्त रस्सी के सहारे भगवान का रथ खींचकर मौसीबाड़ी लायेंगे. जहां पर भक्तजन रथ पर सवार भगवान जगन्नाथ व बहन सुभद्रा की पूजा करेंगे. तत्पश्चात सभी विग्रहों को मौसीबाड़ी में रखा जायेगा. इस बीच आरती और भोग निवेदन किया जायेगा. साथ ही रात में भगवान का पट बंद कर दिया जायेगा.
मौसीबाड़ी में नियमित होगा पूजा-पाठ
फिर अगले दिन सुबह पांच बजे पट खुलेगा और प्रभु भगवान जगन्नाथ की पूजा होगी. वहीं सुबह छह बजे मंगल आरती व बाल भोग लगाया जायेगा और दोपहर 12 बजे अन्न भोग लगाया जायेगा. इसी तरह दोपहर 12:10 बजे पट बंद हो जायेगा तीन बजे मंदिर का पट पुन: खुलेगा, जो रात आठ बजे तक खुला रहेगा शाम 7:30 बजे आरती व भोग निवेदन होगा. इसके बाद रात आठ बजे पट बंद हो जायेगा. यह क्रम 16 जुलाई तक चलेगा प्रति दिन भगवान भक्तो को अपने विभिन्न रूपों का दर्शन देंगे. 16 जुलाई को रात में भगवान को गुंडिचा भोग लगाया जायेगा. खीर, खिचड़ी और सब्जी का भोग लगेगा. फिर नौ दिन बाद 17 जुलाई को घुरती रथ यात्रा होगी.
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