मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक पहुंचा भाषा विवाद, जेएमएम ने कहा, बाहर हो भोजपुरी- मगही कांग्रेस ने की मांग

पिछले कई दिनों से राज्य के कई जिलों में चल रहा भाषा विवाद का मामला अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक पहुंच गया है.

Update: 2022-02-18 15:19 GMT

झारखण्ड: पिछले कई दिनों से राज्य के कई जिलों में चल रहा भाषा विवाद का मामला अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक पहुंच गया है. शुक्रवार को प्रोजेक्ट भवन में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, मंत्री आलमगीर आलम, जेएमएम विधायक सबिता महतो और पूर्व विधायक योगेंद्र महतो ने भाषा विवाद को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की. इस दौरान पूर्व विधायक योगेंद्र महतो ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि धनबाद और बोकारो में भाषा विवाद काफी ज्वलंत मुद्दा है. द्ववितीय भाषा के रूप में भोजपुरी, मगही, अंगिका को शामिल किए जाने से युवाओं में काफी नाराजगी है. ऐसे में उनका मुख्यमंत्री से आग्रह है कि दोनों भाषाओं को वापस लेने की सरकार के स्तर पर पहल हो. वहीं, कांग्रेसी नेताओं ने सीएम से जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए कोई निर्णय लेने की मांग की.राजेश ठाकुर ने कहा कि गठबंधन के प्रमुख सहयोगी और जिम्मेदार पार्टी होने के नाते कांग्रेस का यह फर्ज़ है कि लोगों की भावनाओं को हम ठेस नहीं पहुंचायें. उन्होंने कहा कि मुलाकात के दौरान हमने मुख्यमंत्री को भाषा को लेकर पार्टी की भावनाओं से भी अवगत कराया. बता दें कि बीते 2 दिन पहले पार्टी विधायक दीपिका पांडेय सिंह ने भी भाषा विवाद पर अपना पक्ष सार्वजनिक तौर पर लिखा था.

दीपिका पांडेय ने कहा था कि भाषा विवाद का सीधा असर राज्य के युवाओं पर पड़ रहा है. उन्होंने कहा था कि भाषा के आधार पर इस राज्य को बांटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. यह संवाद बनाने का जरिया हो सकता है न कि समाज बांटने का. इसका असर युवा वर्ग पर पड़ रहा है. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अनुरोध कर कहा है कि अपने राज्य को मजबूत बनाने का काम करें न कि कमजोर करने का.
आलमगीर आलम ने कहा कि भाषा को लेकर जो विवाद चल रहा है, उसे खत्म होना चाहिए. इसके लिए हमारी पार्टी ने आज मुख्यमंत्री से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि हमने सीएम से सभी के भावनाओं को ध्यान में रखते हुए कोई निर्णय लेने की बात कही है.


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