कोरोनाकाल के बाद झारखंड की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटी

Update: 2023-03-06 13:10 GMT

राँची न्यूज़: झारखंड के लिए वर्ष 2022-23 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार झारखंड की अर्थ व्यवस्था वर्ष 2019-20 की आर्थिक मंदी और वर्ष 2020-21 के कोविड-19 एवं उसके कारण हुए लॉकडाउन के कुप्रभाव से न केवल पूरी तरह से उबर गई है बल्कि विकास की रफ़्तार पकड़ ली है. वर्ष 2022-23 एवं 2023-24 में इसका विकास दर देश के विकास दर से अधिक रहने का अनुमान है. वर्ष 2019-20 की आर्थिक मंदी और वर्ष 2020-21 की महामारी ने पूरे देश की अर्थव्यस्था को बेपटरी कर दिया था. झारखंड सरकार के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने विधानसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 पेश किया.

झारखंड की अर्थ-व्यवस्था इनके प्रभावों से अछूता नही रहा. वर्ष 2019-20 की आर्थिक मंदी के कारण जहाँ राज्य का विकास दर धीमा हो गया था. वहीं वर्ष 2020-21 के कोविड के कारण इसकी आय में गिरावट आई थी. लेकिन कुशल प्रबंधन के कारण राज्य के आय में उतनी गिरावट नहीं आई.

जितना की देश की आय में आई थी. वर्ष 2020-21 में देश की आय में जहाँ 6.6 प्रतिशत की गिरावट आई वहीं झारखंड की आय में 5.5 प्रतिशत की ही गिरावट आई थी. कोविड-19 महामारी की दूसरी और तीसरी लहर के बावजूद वर्ष 2021-22 में राज्य की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ. वित्तीय वर्ष 2021-22 में राज्य का विकास दर 8.2 प्रतिशत रहा. चालू वित्तीय वर्ष (2022-23) में इसके 7.8 प्रतिशत और वर्ष 2023-24 में 7.4 प्रतिशत रहने का आकलन है. वर्ष 2022-23 में देश के विकास दर के 7 प्रतिशत और वर्ष 2023-24 में 6 से 6.8 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है. पिछले कुछ वर्षों मे औसतन झारखंड का विकास दर देश के विकास दर से अधिक रहा है.

राज्य के ऋण और देनदारियां पिछले दो वर्षों से राज्य का ऋण-जीएसडीपी-अनुपात 35 प्रतिशत से कम और ब्याज-राजस्व-प्राप्ति अनुपात 10 प्रतिशत से कम रहा है. राज्य की शुद्ध उधारी भी राज्य के लिए निर्धारित उधार सीमा के भीतर रही है.

राज्य में घाटे की स्थिति

झारखंड ज्यादातर राजस्व-अधिशेषवाला राज्य रहा है. राजस्व् अधिशेष का उपयोग राज्य में पूंजीगत संपत्तियों के निर्माण के लिए किया गया है. राज्य का राज कोषीय घाटा ज्यादातर एफआरबीएम के भीतर रहा है. वर्ष 2021-22 में यह जीएसडीपी का 0.76 प्रतिश तथा चालू वित्त वर्ष (2022-23) में यह जीएसडीपी का 2.81 प्रतिशत रहने का अनुमान है.

राज्य के वित्तीय हालात

पिछले दो वर्षों से (कोरोना के बाद से) राज्य की वित्तीय स्थिति लगाता रमजबूत हो रही है. पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2021-22 मेंराज्य की राजस्व प्राप्तियों में लगभग 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है तथा चालू वित्त वर्ष (2022-23) में लगभग 19 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है. वर्ष 2021-22 में राज्य के कुल व्यय में लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.

झारखंड राज्य में महंगाई पर एक नजर

देश एवं देश के अन्य राज्यों की तरह झारखंड मेग भी वर्ष 2022 में मुद्रा स्फीति दर (मूल्य वृद्धि दर) अधिक रही. जुलाई एवं नवंबर 2022 को छोड़कर जनवरी 2022 से दिसंबर 2022 तक की अवधि के अन्य महीनों में राज्य की मुद्रा स्फीति दर आरबीआई की ह्यनई मौद्रिक नीति रूपरेखाह्ण द्वारा निर्धारित 6 प्रतिशत की दर से अधिक रही. इस वर्ष सिर्फ जनवरी 2022 से मई 2022 की अवधि में राज्य की मुद्रास्फीति दर देश के मुद्रास्फीति दर से मामूली रूप से अधिक रही अन्य सभी महीनो मे झारखंड की मुद्रास्फीति दर देश के मुद्रास्फीति दर से कम रही.

राज्य में गरीबी के ऐसे रहे आंकड़े

गरीबी की गणना अब के वर्षों में बहुआयामी गरीबी के सन्दर्भ में की जाती है. हमारे देश में एनएफएचएस के डेटा के आधार पर गरीबी को आंका जाता है. 2014-15 में इसकी गणना एनएफएचएस-4 के आधार पर और 2019-2021 में यह एनएफएचएस-5 के आधार की गई. वर्ष 2015-16 और 2019-21 के बीच झारखंड में गरीबी (हेड काउंट अनुपात) में लगभग 13 प्रतिशत की कमी आई. राज्य में वर्ष 2015-16 में 42.16 प्रतिशत लोग बहुआयामी गरीब थे. ग्रामीण क्षेत्रों में 50.93 प्रतिशत लोग तथा शहरी क्षेत्रों में 15.26 प्रतिशत लोग बहुआयामी गरीब पाए गए थे.

Tags:    

Similar News

-->