झारखंड : विधानसभा और हाईकोर्ट के भवन निर्माण में गड़बड़ियों की होगी जांच
झारखंड की राजधानी रांची से इस वक्त बड़ी खबर सामने आ रही है. झारखंड हेमंत सोरेन की सरकार ने विधानसभा और होईकोर्ट भवन निमार्ण में अनियमितता मामले में जांच न्यायिक आयोग से कराने का फैसला किया है
रांची:Jharkhand Assembly: झारखंड की राजधानी रांची से इस वक्त बड़ी खबर सामने आ रही है. झारखंड हेमंत सोरेन की सरकार ने विधानसभा और होईकोर्ट भवन निमार्ण में अनियमितता मामले में जांच न्यायिक आयोग से कराने का फैसला किया है. सनद रहे कि इन भवनों का निर्माण पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में हुआ था.
465 करोड़ में किया गया विधानसभा भवन का निमार्ण
वहीं इसके पहले बीते वर्ष जुलाई में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश पर इन दोनों भवनों के निर्माण में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो को सौंपी गयी थी. अब इन्हीं मामलों की जांच न्यायिक कमीशन से कराने का निर्णय लिया गया है. झारखंड विधानसभा के भवन का निर्माण 465 करोड़ की लागत से किया गया है. जबकि झारखंड हाईकोर्ट के भवन परिसर का निर्माण जारी है और इसकी लागत 697 करोड़ रुपये निर्धारित है. इन दोनों भवनों के निर्माण के लिए शुरूआत में जो एस्टीमेट तय किया गया था. उसमें बाद में भारी वृद्धि कर दी गयी. आरोप है कि बगैर आवश्यक मंजूरी के एस्टीमेट बढ़ाकर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गयी है. एस्टीमेट बढ़ाये जाने से लेकर निर्माण में गड़बड़ियों को लेकर कई सवाल उठते रहे हैं.
वृद्धि और क्षेत्रफल विस्तार के लिए नहीं ली गई मंजूरी
रांची में एचईसी के पास कूटे नामक इलाके में झारखंड की नयी विधानसभा बनाने के लिए जो डीपीआर बनायी गयी थी. उसमें इसकी लागत 465 करोड़ तय की गयी थी. लेकिन टेंडर के समय लागत 465 करोड़ से घटाकर 323.03 करोड़ तय की गयी. टेंडर जब फाइनल किया गया तो सबसे कम रेट क्वोट करने वाले रामकृपाल कंस्ट्रक्शन को 290.72 करोड़ रुपये की लागत पर यह काम सौंप दिया गया. काम शुरू हुआ तो वास्तु दोष बताते हुए साइट प्लान का ड्राइंग बदला गया और इससे निर्माण क्षेत्र 19,943 वर्ग मीटर बढ़ गया. बढ़े हुए क्षेत्रफल में निर्माण के लिए टेंडर राशि में 136 करोड़ की बढ़ोतरी कर दी गयी. आरोप है कि लागत में वृद्धि और क्षेत्रफल विस्तार के लिए आवश्यक मंजूरी नहीं ली गयी.
2019 में आग लगने से हुआ काफी नुकसान
विधानसभा की प्राक्कलन समिति ने इसके निर्माण में गड़बड़ियों की जांच की थी और अपनी रिपोर्ट में बताया था कि निर्माण कार्य मानकों के अनुरूप नहीं है. भवन का फाल्स सिलिंग तीन गिर चुका है. दिसंबर 2019 में भवन के पिछले हिस्से में आग लग गयी थी. इससे काफी नुकसान हुआ था. इसी तरह धुर्वा स्थित झारखंड हाई कोर्ट के नये भवन निर्माण में अधिकारियों और संवेदक रामकृपाल कंस्ट्रक्शन लिमिटेड की मिलीभगत से वित्तीय अनियमितताएं का आरोप है
सरकार ने बनाई पांच सदस्यीय कमेटी
इस मामले में सरकार की ओर से बनाई गई पांच सदस्यीय कमेटी ने भी वित्तीय अनियमितता पर मुहर लगाई थी. शुरूआत में हाई कोर्ट भवन के निर्माण के लिए 365 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई थी. बाद में 100 करोड़ घटाकर संवेदक रामकृपाल कंस्ट्रक्शन को 265 करोड़ में टेंडर दे दिया गया. इसके बाद बिना किसी अनुमति के लागत बढ़कर लगभग 697 करोड़ रुपये कर दी गई है. बढ़ी राशि के लिए न तो सरकार से अनुमति ली गई और न ही नया टेंडर जारी किया गया.