झारखण्ड : गढ़वा के जल में 'जहर', फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर ग्रामीण
गढ़वा सदर प्रखंड के फ्लोराइड प्रभावित गांव प्रतापपुर में पिछले बीस दिनों से बिजली आपूर्ति ठप हो गई है. जिसके चलते ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो पा रहा है. आलम ये है कि लोग फ्लोराइड युक्त जहरीला पानी पीने को मजबूर हो गए हैं. एक तरफ ग्रामीण जहरीला पानी पीकर बीमार हो रहे हैं और दूसरी ओर विभाग के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. गढ़वा में लोग पानी के लिए हाहाकार कर रहे हैं. सदर प्रखंड के फ्लोराइड प्रभावित गांव प्रतापपुर में पिछले बीस दिनों से बिजली आपूर्ति ठप हो गई है. जिसके चलते अब गांव के ग्रामीणों को शुद्ध पानी नसीब नहीं हो रहा है. मजबूरन लोग जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं.
ग्रामीण हो रहे परेशान
प्रतापपुर गांव के पानी में इतना फ्लोराइड है की पानी जहर बन गया है. सालों से इस समस्या से यहां के ग्रामीण जूझते रहे. पानी को पीने से कई लोग काल के गाल में समा गए. कई बार शिकायत के बाद गांव में केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर योजनाएं चलाई. जिसके बाद ग्रामीणों को शुद्ध पानी नसीब हुआ, लेकिन अब रेलवे विभाग की लापरवाही के कारण फिर से इन ग्रामीणों को जहरीला पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है.
प्रशासन लापरवाह
इस गांव में लगे पानी टंकी तक बिजली का जो तार बिछाया गया है वो रेलवे लाइन पार कर बिछाया गया है और रेलवे लाइन के पास बिजली के केबल में खराबी होने के चलते गांव में बिजली आपूर्ति नहीं हो पा रही है. इसी वजह से पानी का सप्लाई भी नहीं हो रही है और लोगों को पीने तक के लिए पानी नहीं मिल रहा है. हालांकि पेयजल और बिजली विभाग दोनों ने रेलवे को बिजली दुरुस्त करने के लिए अनुमति मांगी है, लेकिन रेलवे की ओर से अब तक अनुमति नहीं देने से बिजली केबल नहीं सही हो पाई है और इसको लेकर बीजेपी सरकार और पेयजल विभाग पर हमलावर हो रही है.
फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर ग्रामीण
वहीं, समस्या को लेकर पेयजल विभाग के कार्यापालक अभियंता का कहना है कि विभाग की ओर से कोई कमी नहीं है. उन्होंने बिजली विभाग और रेलवे को पत्राचार किया है, लेकिन अब तक रेलवे की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है. बीजेपी सियासत कर रही है और अधिकारी आश्वासन दे रहे हैं, लेकिन इस सब के बीच आम जनता के पास जहरीला पानी पीने के अलावा कोई चारा नहीं. लोग फ्लोराइड युक्त पानी पीकर बीमार हो रहे हैं और रेलवे विभाग है कि हाथ पर हाथ धरे बैठा है.