झारखंड: झारखंड में कई ऐसी रहस्यमयी जगह हैं, जिनके राज आज भी अनसुलझे हैं। आज हम आपको एक ऐसी रहस्यमयी गुफा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका नाम है बाघलाता की गुफा। बाघलाता की गुफा धार्मिक लिहाज से बहुत खास है। मान्यता है कि इस गुफा में देवी-देवताओं का निवास स्थान है। यह गुफा प्राचीन काल से ही आस्था का केंद्र है। सिमडेगा जिला मुख्यालय के सदर प्रखंड से महज चार किमी की दूरी पर स्थित गरजा पंचायत के बाघलाता जंगल में यह विशाल गुफा है, जिसके रहस्य आज भी अनसुलझे हैं। इसकी पूरी लंबाई आज तक कोई नहीं नाप सका है।
ग्रामीणों की मान्यता
बुजुर्गों के अनुसार, देश की आजादी से पूर्व गांव के लोगों के द्वारा पूजा-पाठ में कुछ भी गलती होने पर गांव के देवी-देवता नाराज हो जाते थे। गलती करने वाले को तब तक गुफा में छिपाकर रखा जाता था, जब तक सरना स्थल में पाहनों द्वारा बकरे की बलि नहीं दी जाए। बकरे की बलि दिए जाने के बाद वह व्यक्ति स्वयं पूजास्थल तक आ जाता था। यह घटना कई वर्षों पहले गांव के तीन लोगों के साथ घट चुकी है। हालांकि अब यह घटना नहीं घटती।
पूरी गुफा का कोई सैर नहीं कर सका
बाघलाता की गुफा इतनी विशाल है कि आजतक किसी ने भी इसका पूरा सैर नहीं कर पाया। कोई भी इसकी लंबाई नहीं नाप सका है। हालांकि कई ग्रामीण चार से पांच घंटे तक ही गुफा की सैर कर चुके हैं। अनुमान लगाया जाता है कि यह गुफा जंगल के एक सिरे से दूसरे सिरे तक खुलती है। एक सिरा का मुख काफी चौड़ा है, जो गड़राबहार आइटीआई भवन की ओर खुलती है, वहीं दूसरा मुख कम व्यास वाला है, जो जंगल के दूसरे सिरे बाघलाता गांव की ओर खुलती है।
गुफा की हैं कई खासियत
ग्रामीणों के अनुसार गुफा के अंदर कई खासियत है। अंदर जाते ही एक बड़ा-सा हॉल जैसा बना हुआ है, जिसकी लंबाई 50 से 60 फीट है और चौड़ाई 20 फीट होगी। वहीं, इसकी ऊंचाई 10 से 12 फीट होगी। यहां किनारे बैठने के लिए पत्थर के चबूतरे बने हुए हैं। संभावना जतायी जाती है कि राजा-रजवाड़े के समय में गुफा के इस हॉल में लोग बैठक करते होंगे। हॉल से आगे बढ़ने पर तीन दरवाजे मिलते हैं।
गुफा में बने हैं हॉल और तालाब
ग्रामीणों के अनुसार, बाईं ओर के दरवाजे से घुसने पर थोड़ी दूर आगे जाने के बाद और दो दरवाजे मिलते हैं। बीच वाले दरवाजे में घुसने से पुन: तीन दरवाजे मिलते हैं। उसके एक दरवाजे में आगे जाने से एक सीढ़ीनुमा रास्ता है जहां पूरे साल बूंद-बूंद पानी टपकता रहता है। आगे बढ़ने पर पुन: एक बड़ा हॉलनुमा स्थान है। उससे आगे बढ़ने पर एक तालाब है, जिसका पानी भाप बनकर उठता है। इसके आगे जाने पर एक बहुत बड़ा हॉल है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग आराम से बैठ सकते हैं।
गुफा के अंदर घना अंधेरा, रास्ते काफी संकीर्ण
गुफा के अंदर जानेवाले राजेंद्र पेठाई, वीरेंद्र पेठाई, लुकेश सिंह, मार्टिन बाड़ा ने बताया कि अंदर काफी घना अंधेरा रहता है। रोशनी भी कम पड़ जाती है। कई जगह गुफा के रास्ते काफी संकीर्ण हैं। वहां लेटकर और बैठकर आगे बढ़ना पड़ता है। गुफा के अंदर का तापमान काफी है। इस कारण पसीना काफी निकलता है। अंदर जाने पर काफी डरावना महसूस होता है। कम से कम पांच से 10 लोग मिलकर ही गुफा के अंदर जाने का साहस करते हैं।
क्या कहते हैं पर्यटन पदाधिकारी?
आज तक किसी ने इस गुफा में अकेले घुसने की हिम्मत नहीं जुटाई। पर्यटन पदाधिकारी प्रवीण कुमार के अनुसार, बाघलाता गुफा काफी रहस्यमयी है। विभाग की ओर से इस गुफा का सर्वे कराया जाएगा। पर्यटन की दृष्टि से भी गुफा का विकास की पहल की जाएगी। गुफा तक पहुंचने के लिए फिलहाल सुगम पथ नहीं है, लेकिन जल्द ही पहुंच पथ बनाने के लिए सरकार की ओर से पहल की जाएगी।