गढ़वा के भवनाथपुर में महज दो दिन पहले आसमान से मौत बरसी थी. आकाशीय बिजली की चपेट में आने से एक किसान की जिंदगी खत्म हो गई. एक मवेशी की भी मौत हो गई. एक महिला भी आकाशीय बिजली की चपेट में आने से झुलस गई. मंगलवार को भी फिर से आसमान ने आफत बरसाई थी. वज्रपात गढ़वा के केतार प्रखंड के एक स्कूल परिसर में हुआ था. तेज गर्जन के साथ शुरू हुई बारिश के बीच यहां वज्रपात हुआ था. मध्य विद्यालय केतार परिसर में जहां आसमान से बिजली गिरी थी उस स्कूल में 700 नौनिहाल पढ़ाई कर रहे थे. यहां एक बार, दो बार नहीं बल्कि पांच बार बिजली गिरी. बच्चों ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि अचानक चार से पांच बार असामानी बिजली गिरी तो हम लोग डर गए.
नहीं लगे लाइटिंग कंडक्टर
गनीमत रही कि आसमान से ये बिजली स्कूल परिसर के एक पेड़ पर जा गिरी. इस हादसे में सभी बाल-बाल बच गये थे. स्कूल के 700 बच्चे, टीचर और रसोइया सभी खुश भी थे कि जिंदगी बच गई. गढ़वा जिला पठारी क्षेत्र होने के कारण यहां बे मौषम भी आसमानी बिजली कड़कती रहती है. ऐसे में जिले में कई सरकारी विद्यालय हैं, जहां आज भी तड़ित चालक यंत्र (लाइटिंग कंडक्टर) नहीं लगे हैं, जिस कारण बच्चों की जान खतरा है. आकाशीय बिजली से हर साल दर्जनों मौतें होती हैं. यहां, 300 से अधिक सरकारी स्कूलों में तड़ित यंत्र नहीं लगाए गए हैं.
क्या है लाइटिंग कंडक्टर?
तड़ित चालक एक धातु की चालक छड़ होती है
भवनों की छत पर आकाशीय बिजली से बचाव
तड़ित चालक का उपरी सिरा नुकीला होता है
भवनों के सबसे ऊपरी हिस्से में जड़ दिया जाता है
भवन पर बिजली गिरने से रोकता तड़ित चालक
कई बार लिखी जा चुकी है चिट्ठी
इसी तड़ित चालक यंत्र को स्कूल के भवन पर लगाने के लिए बार-बार चिट्ठी विभाग को भेजी जा रही है, लेकिन विभाग की तरफ से कोई पहल नहीं हो रही है. नतीजा ये हो रहा है कि स्कूल पर बारिश के दौरान आकाशीय बिजली गिरती है. बच गये तो ठीक नहीं तो जान देकर इस लापरवाही की कीमत चुकानी पड़ती है. केतार के सरकारी स्कूल में पांच बार आसमान से आफत गिरी थी. बच्चे अभी भी सहमे हुए हैं. बाबजूद इसके स्कूल के भवन पर बिजली से बचाव के लिए कोई तड़ित यंत्र नहीं लगाये जा रहे हैं. विभाग की इस लापरवाही का खामियाजा नौनिहालों को भुगतना पड़ रहा है.