झारखंड हाईकोर्ट ने रद्द किया 6वीं JPSC परीक्षा का अंतिम परिणाम
6वीं जेपीएससी सिविल सेवा के चयनित 326 अधिकारियों को बड़ा झटका लगा है।
JPSC 6th Exam Result: 6वीं जेपीएससी सिविल सेवा के चयनित 326 अधिकारियों को बड़ा झटका लगा है। झारखंड हाईकोर्ट ने छठी जेपीएससी के अंतिम परिणाम को रद्द करते हुए जेपीएससी को नई मेरिट लिस्ट जारी करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने बुधवार फैसला सुनाते हुए यह आदेश दिया। अदालत ने इस मामले में एकलपीठ के आदेश को सही बताया और इसमें किसी प्रकार का हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
अदालत ने कहा कि एकलपीठ का आदेश पूरी तरह वैध है, इस कारण एकलपीठ के आदेश को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं खारिज की जाती हैं। अदालत ने जेपीएससी को एकलपीठ के आदेश के अनुसार नयी मेरिट लिस्ट जारी करने का निर्देश दिया। खंडपीठ के इस आदेश के बाद छठी सिविल सेवा के चयनित करीब 100 सफल उम्मीदवार सूची से बाहर हो सकते हैं। जबकि कुछ असफल अभ्यर्थी शामिल होंगे। बता दें कि छठी जेपीएससी के चयनित उम्मीदवार विभिन्न जिलों में पदस्थापित हैं।
क्या था एकल पीठ का आदेश?
इस मामले में एकलपीठ जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने सात जून को अपने आदेश में कहा था कि जेपीएससी ने नियमों के अनुसार मेरिट लिस्ट जारी नहीं की। लिस्ट बनाने में क्वालीफाइंग मार्क्स को भी जोड़ दिया गया जबकि नियमों में इसका प्रावधान नहीं है। ऐसे में मेरिट लिस्ट वैध नहीं मानी जा सकती। इस कारण अदालत इसे रद्द करती है। कोर्ट ने आयोग को बिना क्वालीफाइंग मार्क्स जोड़े नया मेरिट लिस्ट आठ सप्ताह में सरकार के पास भेजने और सरकार को मेरिट लिस्ट मिलने के चार सप्ताह में नई लिस्ट के अनुसार कैडर आवंटित करने का निर्देश दिया था।
क्या है मामला?
जेपीएससी के अंतिम परिणाम को चुनौती देते हुए एकल पीठ में याचिका दायर की गयी थी। याचिका में कहा गया था कि पेपर-वन (हिंदी और अंग्रेजी) में क्वालीफाइंग मार्क्स लाना था, लेकिन जेपीएससी ने मुख्य परीक्षा के रिजल्ट में पेपर-वन के प्राप्तांक भी कुल प्राप्तांक में जोड़ कर रिजल्ट निकाल दिया, जो नियमानुसार गलत है।
सफल अभ्यर्थियों ने एकलपीठ के आदेश को गलत बताया
सफल अभ्यर्थियों ने एकलपीठ के आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी थी। इनका कहना था कि पेपर-वन (हिंदी और अंग्रेजी) का अंक कुल प्राप्तांक में जोड़ा जाना सही है। यह दोनों क्वालीफाइंग पेपर हैं, क्योंकि इसमें निर्धारित न्यूनतम अंक लाने वाले को ही पास माना जाएगा, भले ही वे दूसरे अन्य पेपर में फेल हों। जेपीएससी ने पेपर-वन के अलावा किसी भी अन्य पेपर में न्यूनतम अंक लाने की शर्त नहीं लगाई है।कुछ अधिकारयों पर गिर सकती है गाज
हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश के बाद जेपीएससी के कुछ अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है। एकलपीठ ने अपने आदेश में जेपीएससी के अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए कहा है कि लोगों के बीच आयोग की विश्वसनीयता कायम रहे, गरिमा बरकरार रहे, इसे ध्यान में रखते हुए जेपीएससी पर कार्रवाई करना जरूरी है। जेपीएससी के जिन अधिकारियों की भूमिका मेरिट लिस्ट बनाने में रही, उन्हें चिह्नित किया जाए और कार्रवाई की जाए।
सरकार एकलपीठ के आदेश से सहमत : महाधिवक्ता
महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि सरकार ने एकलपीठ के आदेश का पालन करने का निर्णय लिया था। इसलिए एकलपीठ के आदेश के खिलाफ अपील नहीं की गयी थी। इस बीच कुछ सफल अभ्यर्थियों ने अपील दायर की। खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को बरकरार रखा है। अब जेपीएससी को नई मेरिट लिस्ट जारी करनी होगी। नई लिस्ट में पहले से सफल कुछ लोग बाहर हो सकते हैं और कुछ नए लोग सूची में शामिल हो सकते हैं। आदेश के अनुसार जेपीएससी को निर्णय लेना है।कब क्या हुआ ?
23 अप्रैल 2020 को अंतिम परिणाम जारी हुआ
4 मई 2020 को मेरिट लिस्ट और अन्य गड़बड़ियों के खिलाफ एकलपीठ में याचिका
18 जनवरी 2021 को सभी याचिकाओं को एक साथ सूचीबद्ध करने का निर्देश
3 से 17 फरवरी 2021 तक एकलपीठ में हर दिन हुई मामलों की सुनवाई
17 फरवरी 2021 को एकलपीठ ने फैसला सुरक्षित रखा
7 जून 2021 को एकलपीठ ने मेरिट लिस्ट रद्द कर नयी लिस्ट जारी करने का दिया आदेश
21 जुलाई 2021 को एकलपीठ के आदेश को खंडपीठ में चुनौती
10 अगस्त 2021 को खंडपीठ ने यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया
20 अक्तूबर को खंडपीठ ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा
23 फरवरी को खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को सही बता अंतिम परिणाम रद्द किया