राँची न्यूज़: झारखंड हाईकोर्ट में जस्टिस डॉ. एसएन पाठक की अदालत में वर्ष 2016 में हुई शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) में सफल अभ्यर्थियों के नियुक्ति को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई.
सुनवाई के बाद अदालत ने छह सप्ताह में सरकार को अभ्यर्थियों की नियुक्ति के संबंध में निर्णय लेने का निर्देश दिया है. इस संबंध में परिमल कुमार सहित अन्य की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने अदालत को बताया कि संविधान में 86वां संशोधन करते हुए अनुच्छेद 21 (ए) को समाहित किया गया. इसके तहत पूरे देश में मुफ्त शिक्षा अनिवार्य की गई. इसके तहत छह से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने के लिए आरटीई लाया गया.
राज्य सरकार ने इस कानून के तहत वर्ष 2012 में सहायक शिक्षक नियुक्ति नियमावली बनायी. वर्ष 2013 में टेट के जरिए शिक्षकों की नियुक्ति की गई. इसके बाद जैक की ओर से वर्ष 2016 टेट की परीक्षा ली गई. लेकिन मेरिट सूची नहीं जारी की गई. इसकी वजह से शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है.
अदालत ने वर्ष 2016 में टेट सफल अभ्यर्थियों की नियुक्ति को लेकर छह सप्ताह में सरकार को निर्णय लेने का आदेश दिया है.
सिपाही नियुक्ति नियमावली पर सुनवाई 16 को
झारखंड हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा एवं जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में सिपाही नियुक्ति नियमावली-2014 को चुनौती देने वाली याचिका पर आंशिक सुनवाई हुई. इसमें अदालत को बताया गया कि इससे संबंधित मामले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को लंबित है. इसके बाद अगली सुनवाई 16 अगस्त निर्धारित की गई. इस संबंध में सुनील टुडू व अन्य 60 लोगों ने याचिकाएं दाखिल की हैं. सभी पर एक साथ सुनवाई हो रही है. याचिका में कहा गया है कि झारखंड सरकार की नियुक्ति नियमावली पुलिस मैनुअल के विपरीत है. बता दें कि 2015 में राज्य में सिपाही और जैप के जवानों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया था. 2018 में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हुई. पूर्व के आदेश के तहत इस मामले में नियुक्त सभी सिपाहियों को पक्ष रखने के लिए अदालत ने मौका दिया था.