टूटी दीवारें, सीमेंट का साथ छोड़ती छड़ें. घरों और छतों पर पेड़ की जड़ें. जर्जर मकान और आफत में लोगों की जान. देखने में ये तस्वीर किसी भूत बंगले से कम नहीं लगती, लेकिन ये भूत बंगला नहीं बल्कि बोकारो स्टील के आवासों की तस्वीर है. तस्वीरों को देख कहना मुश्किल नहीं कि यहां रहना तो दूर यहां के आस-पास से गुजरना भी खतरे से खाली नहीं है, लेकिन बोकारो स्टील के इन जर्जर मकानों में लोग रह रहे हैं. दहशत के साए में दिन काट रहे हैं. एक हफ्ते पहले यानी 18 सितंबर को सेक्टर 12 A ब्लॉक में छज्जा गिरने के बाद दीवार क्षतिग्रस्त हो गई थी, लेकिन अभी तक इसकी मरम्मती का काम शुरू नहीं हुआ है. अब आलम ये है कि इस ब्लॉक में रहने वाले 6 आवासों में लोग दहशत में जीने को मजबूर हैं.
टूटी दीवारें, सीमेंट का साथ छोड़ती छड़ें
ऐसा नहीं है कि छज्जा गिरने की जानकारी किसी को नहीं है. छज्जा गिरने की जानकारी बोकारो स्टील के टाउनशिप विभाग को भी दी गई है. विभाग के लोग आए और मलवा भी हटाया, लेकिन इसके बाद किसी तरह का कोई काम शुरू ही नहीं हुआ. घर में रह रहे लोगों का कहना है कि यहां पल-पल हादसे का डर सताता है. बच्चे और बुजुर्ग भी यहां रहते हैं. ऐसे में कब क्या हो जाए. अनहोनी की संभावना बनी रहती है. स्थानीय लोग जब बोकारो स्टील के अधिकारियों के पास जाते हैं तो अधिकारी सुपरवाइजर द्वारा रिपोर्ट नहीं दिए जाने की बात कह कर बात टाल देते हैं.
जर्जर मकान और आफत में लोगों की जान
यहां तो पहले ही आवासों की हालत जर्जर हो चुकी है. इसकी जानकारी भी विभाग को दी जा चुकी है, लेकिन इस पर कोई ठोस पहल नहीं की गई. अब जब यहां हादसा हो गया. इसके बाद भी अधिकारियों की नींद खुलने का नाम नहीं ले रही. सालों से जर्जर बोकारो स्टील के इन आवासों की मरम्मत के लिए NBCC के साथ एक एमओयू हुआ है, लेकिन अभी तक इस पर काम शुरू नहीं हो पाया है. ऊपर से हादसे ने यहां रहने वाले लोगों के लिए परेशानी को दोगुना कर दिया है. हादसे के बाद लोग दहशत में है, लेकिन अधिकारी हैं कि सुनने का नाम नहीं ले रहे. एक तरफ इन आवासों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा दाव पर लगी है और अधिकारी बहाने बनाकर मरम्मती भी नहीं करवा रहे. सवाल ये अगर यहां कोई अनहोनी होती है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा.