झारखण्ड :बहरागोड़ा सरस्वती शिशु विद्या मंदिर ईचड़ासोल परिसर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जहां ब्रह्माकुमार भगवान भाई उपस्थित हुए.
भगवान भाई ने स्कूल के भैया बहनों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा का मूल उद्देश्य हैं चरित्र का निर्माण करना. असत्य से सत्य की ओर ले जाना, बंधन से मुक्ति की ओर जाना लेकिन आज की शिक्षा भौतिकता की ओर ले जा रही है. भौतिक शिक्षा से भौतिकता की प्राप्ति होती है और नैतिक शिक्षा से
चरित्र बनता है. इसलिए वर्तमान के समय प्रमाण भौतिक शिक्षा के साथ साथ बच्चो को नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है. साथ ही विद्यार्थियों को मुल्यांकन, आचरण, अनुकरण, लेखन, व्यवहारिक ज्ञान इत्यादि पर जोर देना होगा. वर्तमान के समाज में मूल्यों की कमी हर समस्या का मूल कारण हैं. परीक्षा के समय अपनी सकारात्मक सोच रखे. समय का सदुपयोग करे. अपना हैंड राइटिंग अच्छा और स्पष्ट लिखे. किसी का कापी राइट ना करे आत्मविश्वास से लिखे.
उन्होंने बताया कि परोपकार, सेवाभाव, त्याग, उदारता, पवित्रता, सहनशीलता, नम्रता, धैर्यता, सत्यता, ईमानदारी आदि सद्गुण नहीं आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी हैं. शिक्षा एक बीज है और जीवन एक वृक्ष है जब तक हमारे जीवन रूपी वृक्ष में गुण रूपी फल नहीं आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है. समाज अमूर्त होता हैं और प्रेम,सद्भावना,भातृत्व,नैतिकता एवं मानवीय सद्गुणों से सचालित होता हैं. इस मौके पर कार्यक्रम में बी.के प्रकाश भाई , प्रधानाध्यापक वासुदेव प्रधान व अशोक नायेक, शिक्षक हरिहर माईति ,सनत कुंडू, पार्थ सारथी साउ समेत विद्यालय के सभी भैया बहने उपस्थित थे.