पड़ताल : नेशनल रैकिंग में क्यों पिछड़ जाता है एनआईटी जमशेदपुर? जानकर रह जायेंगे हैरान

भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी नेशनल इंस्ट्यूटीशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ-2022) की रैंकिंग की इंजीनियरिंग कैटेगरी में एनआईटी जमशेदपुर चार पायदान नीचे फिसल कर इस साल 90वें स्थान पर पहुंच गया है

Update: 2022-07-16 08:24 GMT

Jamshedpur : भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी नेशनल इंस्ट्यूटीशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ-2022) की रैंकिंग की इंजीनियरिंग कैटेगरी में एनआईटी जमशेदपुर चार पायदान नीचे फिसल कर इस साल 90वें स्थान पर पहुंच गया है. 2021 में एनआईटी जमशेदपुर इंजीनियरिंग कैटेगरी में 86वें स्थान पर रहा था. ओवरऑल स्कोर में मामूली बढ़ोतरी के बावजूद एनआईटी जमशेदपुर नीचे सरक गया है. रैंकिंग में एनआईटी के पिछड़ने की सबसे बड़ी वजह संस्थान का निगेटिव परस्पेशन है, जो संस्थान को रैंकिंग की सूची में आगे नहीं बढ़ने दे रही है. रैंकिंग के पांच पैरामीटर्स हैं, जिसमें से एक परसेप्शन हैं. परसेप्शन पैरामीटर में एनआईटी जमशेदपुर को 100 में से केवल 8.36 स्कोर मिला है, जबकि 2021 में 8.07 स्कोर था. इसके अलावा इस साल संस्थान ने टीचिंग एंड लर्निेंग रिसोर्सेस पैरामीटर में भी अंक गंवाये हैं. इस साल टीचिंग एंड लर्निंग रिसोर्स पैरामीटर में एनआईटी को 53.43 स्कोर मिला है, जो पिछले साल 56.45 था. केवल ग्रेजुएशन आउटकम संतोषजनक है. लेकिन इसमें भी स्कोर पिछले साल के मुकाबले में कम हुआ है. रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस में भी संस्थान का स्कोर बेहद खराब है. इस साल संस्थान का कुल स्कोर 40.71 रहा है, जो पिछले साल 40.53 था. इंजीनियरिंग केटेगरी में पहले पायदान पर रहे आईआईटी मद्रास का स्कोर 90.04 रहा है. (नीचे भी पढ़ें)

जानिए एनआईटी के स्कोर
पैरामीटर्स स्कोर (2022) स्कोर (2021)
1.टीचिंग एंड लर्निंग 53.43 56.45
2.रिसर्च एंड प्रोफेशनल 19.09 15.62
3.ग्रेजुएशन आउटकम 67.16 67.65
4.आउटरिच (ओआई) 46.77 45.74
5.परसेप्शन 8.36 8.07 (नीचे भी पढ़ें)
चहारदीवारी ने बिगाड़ी संस्थान की धारणा
संस्थान की इस खराब धारणा का सबसे बड़ा कारण संस्थान में चहारदीवारी का नहीं होना है. चहारदीवारी नहीं होने से कैंपस परिसर की सुरक्षा हमेशा खतरे में रहती है. इसके चलते आए दिन परिसर में मारपीट और हंगामा होता रहता है. आसपास के गांव के लोगों का संस्थान परिसर में अवैध प्रवेश होता रहता है. 60 साल पुराने इस संस्थान में अब तक बाउंड्री नहीं बनना कई सवाल खड़े करता है. संस्थान के निदेशक रहे डॉ रामबाबू कोडाली ने अपने कार्यकाल में काफी जोखिम उठाकर बाउंड्री बनाने का काम शुरू किया था. इसकी वजह से उन्हें कई तरह की धमकी और विरोध झेलना पड़ा. बावजूद डॉ कोडाली पीछे नहीं हटे. वे जिला प्रशासन के सहयोग से 80 फीसदी चहारदीवारी बनाने में सफल रहे. लेकिन उनका कार्यकाल खत्म होने के बाद बाउंड्री बनने का काम फिर ठंडे बस्ते में चला गया. (नीचे भी पढ़ें)
संस्थान की जमीन पर गांववालों का कब्जा
सूत्रों का कहना है कि संस्थान की जमीन पर आसपास के गांव वालों ने अवैध तरीके से कब्जा कर रखा है. स्थानीय नेताओं के सहयोग से सालों से अतिक्रमण होता रहा. जो निदेशक आये, वे अपना कार्यकाल खत्म कर चुपचाप निकलते रहे. किसी ने इसमें हाथ डालने की कोशिश नहीं की. यही नहीं, इस अवैध कब्जे के खेल में संस्थान के कई शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारी भी शामिल हैं, जो नहीं चाहते कि चहारदीवारी बने. इसे लेकर कोर्ट में केस भी चल रहा है. एनआईटी ने सीनेट की बैठक में अवैध रूप से कब्जा कर ली गई सैकड़ों एकड़ जमीन को छोड़ दिया. बावजूद चहारदीवारी का निर्माण नहीं हो पा रहा है.


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