इंटरनेशनल क्रेडिटिंग एजेंसी ने एनआईटी के विभागाध्यक्ष डॉक्टर सुनील को दिया यंग साइंटिस्ट का अवार्ड

जिले के आदित्यपुर स्थित एनआईटी के गणित विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष डॉक्टर सुनील कुमार ने वैज्ञानिक शोध के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है.

Update: 2021-10-31 10:32 GMT

जनता से रिश्ता। जिले के आदित्यपुर स्थित एनआईटी के गणित विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष डॉक्टर सुनील कुमार ने वैज्ञानिक शोध के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है. उनके शोध कार्य के लिए उन्हें भारत के युवा वैज्ञानिकों में शामिल कर इंडिया रिसर्च एक्सीलेंस साइटेशन अवार्ड-21 के अंडर यंग साइंटिस्ट के खिताब से सम्मानित किया गया है.

डॉक्टर सुनील कुमार को यह अवार्ड 28 अक्टूबर को आल इंडिया कॉउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन के चेयरमैन अनिल सहर्षबुद्धे, सीएसआईआर के पूर्व निदेशक और प्रख्यात साइंटिस्ट रघुनाथ अनंत माश्लेकर और इंटरनेशनल क्रेडिटिंग एजेंसी क्लारिवेट, वेब आफ साइंस की टीम की उपस्थिति में दिया गया.
विश्व की विभिन्न क्रेडिटिंग एजेंसी प्रत्येक साल अक्टूबर महीने में विश्व के वैज्ञानिकों की सूची जारी करती हैं. यह सूची पब्लिश किए जा रहे शोध पत्रों के साइटेशन के आधार पर जारी की जाती है. डॉक्टर सुनील कुमार को भी उनके शोध पत्रों के साइटेशन (उद्धरण) के आधार पर युवा वैज्ञानिक होने का सम्मान दिया गया. यह अवार्ड 42 वर्ष से कम आयु के साइंटिस्ट को ही दिया जाता है. भारत से सिर्फ डॉक्टर सुनील कुमार को ही यंग साइंटिस्ट का अवार्ड मिला है. डॉक्टर सुनील कुमार के 25 शोध पत्रों को हाइली साइटेड पेपर्स में चुना गया है. एक अन्य इंटरनेशनल क्रेडिटिंग एजेंसी स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी यूएसए द्वारा भी विश्व के दो परसेंट वैज्ञानिकों की सूची जारी की गई. इस सूची में भी डॉक्टर सुनील कुमार को शामिल किया गया है.
बता दें कि डॉक्टर सुनील कुमार ने 2012 में आईआईटी (बीएचयू) से पीएचडी की उपाधि लेकर अप्रैल 2012 से एनआईटी जमशेदपुर के गणित विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर सेवा देना शुरू किया था. इस दौरान इन्होने विश्व के कई प्रतिष्ठित जर्नल में 155 से अधिक शोध पत्रों को प्रकाशित किया. पिछले दो वर्षों से डॉक्टर कुमार कैंसर, एड्स और कोविड जैसी घातक बीमारियों के मैथमेटिकल मॉडल के अध्ययन पर शोध पत्र प्रकाशित कर चुके हैं.

डॉक्टर सुनील कुमार अभी तक चार छात्रों को शोध करा चुके हैं, जिसमे से दो लोग पीएचडी की उपाधि लेकर अच्छे संस्थानों में काम कर रहे हैं. उनके अंडर में अभी भी सात शोध छात्र पीएचडी की उपाधि लेने के लिये काम कर रहे हैं.


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