झारखंड में जेनरेटर से उद्योग चल रहे

Update: 2023-06-23 12:48 GMT

Ranchi : फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (एफजेसीसीआई) ने नये बिजली टैरिफ पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि राज्य में क्वालिटी बिजली मिल नहीं रही है. उद्योग धंधे जेनरेटर के भरोसे चल रहे हैं. मालूम हो कि झारखंड में बिजली की दरों में 6.50 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की गयी है. सामान्य घरेलू उपभोक्ताओं के लिए दरों में प्रति यूनिट पांच पैसे की बढ़ोतरी की गयी है. वहीं, मासिक फिक्स्ड चार्ज में 25 रुपये प्रति माह की बढ़ोतरी की गयी है. यह टैरिफ एक जून 2023 के प्रभाव से लागू है.

जेनरेटर पर उद्योग नहीं चल सकता : किशोर मंत्री, एफजेसीसीआई अध्यक्ष

चेंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री का कहना है कि झारखंड के साथ छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड का गठन हुआ था. उन दोनों राज्यों की स्थिति झारखंड से बेहतर है. जहां सरकार काम करती है, वहां दिखता है. हमारे राज्य में बिजली बिल आता है, लेकिन बिजली नहीं आती. उद्योग अब ठंडा पड़ गया है. 15-16 घंटे जेनरेटर पर उद्योग नहीं चल सकता. सरकार को इन सब मुद्दों पर विचार करना चाहिए. हमारा राज्य मिनरल से भरा-पड़ा है, उसके बाद भी इतनी कमी. राज्य भर से उनके पास चिट्ठी आ रही है कि उद्योग ठप हो रहा है. बिजली की जरूरत है. पर यहां तो सरकार बिजली के बारे में सोच ही नहीं रही. बीते तीन महीने से यही स्थिति है. अब तो सही हो जानी चाहिए थी.

6 रुपये की जगह जनरेटर पर 20 रुपए खर्च करना पड़ता है : मनोज नरेडी, पूर्व अध्यक्ष

झारखंड चेंबर के पूर्व अध्यक्ष मनोज नरेडी का कहना है कि सरकार भ्रष्टाचार के तले दब कर रह गई है. यहां की बिजली किस प्रदेश में जा रही है, समझ नहीं आ रहा. जहां प्रति यूनिट छह रुपये देना होता था, बिजली नहीं रहने के कारण जनरेटर पर 20 रुपए खर्च करना पड़ता है. सरकार को इस बारे में गंभीरता से सोचने की जरूरत है. पड़ोसी राज्य ओड़िशा और छत्तीसगढ़ में जहां झारखंड से कम मिनरल और कोल है, तब भी वहां का उद्योग धंधा तेजी से बढ़ रहा है. सरकार बिजली नहीं देगी तो उद्योगपति को राज्य से पलायन करना होगा.

उद्योग तो जैसे चौपट हो गया है : विनोद जैन, उद्यमी

उद्यमी विनोद जैन ने कहा कि राज्य सरकार खुद उधार में है, हमें कहां से बिजली मिलेगी. उद्योग तो जैसे चौपट हो गया है. किसी भी फैक्ट्री को चलाने के लिए बिजली की जरूरत होती है. यहां 24 घंटे में 15 घंटे भी बिजली नहीं मिल रही. ऐसे में सरकार से उम्मीद ही खत्म हो गई है. उद्योग के साथ बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ा है. बिजली नहीं रहने से गर्मी से लोगों का बुरा हाल है. राजधानी में जब ये हालत है, तो ग्रामीण इलाकों में तो और हाल बेहाल होगा. बिजली बिल आ जाता है, लेकिन बिजली कहां है, किसी को पता नहीं.

लागत 3 गुना बढ़ गयी है : अमित शर्मा उपाध्यक्ष, एफजेसीसीआइ

एफजेसीसीआइ के उपाध्यक्ष अमित शर्मा का कहना है कि जेनरेटर से कारखाना चलाने पर उत्पादन लागत लगभग 3 गुना बढ़ जाती है. कई उद्यमी विवश होकर हाफ फिनिश प्रोडक्ट दूसरे राज्यों से मंगा रहे हैं. सबसे बड़ी परेशानी यह है कि 24 घंटे चलने वाले उद्योगों में 20 से 25 फीसदी उत्पादन कम हो गया है. पावर कट के कारण पूरी तरह से बिजली पर आश्रित लघु और कुटीर उद्योग संकट में हैं. कई उद्योग बैंक से लोन लेकर लगाए गए हैं. ऐसे में उन्हें ब्याज भी देना मुश्किल हो रहा है.

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