भारत भूगर्भीय रूप से समृद्ध देश है: राज्यपाल

राजधानी में आज ( 4 दिसंबर ) इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स झारखंड चैप्टर द्वारा चतुर्थ आईसीसी माइनिंग कॉनक्लेव आयोजित किया गया. जिसमें राज्यपाल रमेश बैस के अलावे राज्य सरकार के अधिकारी, खनन क्षेत्र में शामिल प्रमुख कॉरपोरेट्स के प्रतिनिधि, खनन संस्थानों के प्रतिनिधि, वैज्ञानिक, शिक्षाविद और खनन उपकरण निर्माताओं के प्रतिनिधि शामिल हुए.

Update: 2021-12-05 06:56 GMT

जनता से रिश्ता। राजधानी में आज ( 4 दिसंबर ) इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स झारखंड चैप्टर द्वारा चतुर्थ आईसीसी माइनिंग कॉनक्लेव आयोजित किया गया. जिसमें राज्यपाल रमेश बैस के अलावे राज्य सरकार के अधिकारी, खनन क्षेत्र में शामिल प्रमुख कॉरपोरेट्स के प्रतिनिधि, खनन संस्थानों के प्रतिनिधि, वैज्ञानिक, शिक्षाविद और खनन उपकरण निर्माताओं के प्रतिनिधि शामिल हुए.

राष्ट्र निर्माण में उद्योगों की भूमिका
कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि किसी भी राष्ट्र अथवा राज्य की अर्थव्यवस्था में वहां स्थापित उद्योगों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है. उन्होंने कहा कि उद्योग का मतलब केवल बड़े उद्योग एवं कल-कारखानों से नहीं बल्कि लघु और कुटीर उद्योंगों से भी है. उन्होंने बताया कि उद्योग सिर्फ रोजगार के साधन ही नहीं होते बल्कि ये पलायन की समस्या का भी समाधान करते हैं.
देश में खनिज सम्पदा का विशाल भंडार
इस मौके पर राज्यपाल ने कहा कि भारत भूगर्भीय रूप से समृद्ध देश है, हमारे देश में खनिज संपदा का विशाल भंडार है. भारत लोहा के अलावा मैंगनीज, क्रोमाईट, टाइटेनियम, मैगनेसाईट, सिलिमनाईट, परमाणु-खनिजों अभ्रक और बॉक्साइट आदि के मामले में न केवल आत्मनिर्भर है, बल्कि इनका बड़ी मात्रा में निर्यात भी करता है. उन्होंने बताया कि कोयले के भंडारों की दृष्टि से भारत का विश्व में अहम स्थान है. उन्होंने कहा कि भारत में लौह-अयस्क का भंडार विश्व में मात्रा एवं गुणवत्ता दोनों आधार पर उत्कृष्ट है. यहां पाये जाने वाले मुख्य लौह अयस्क हेमाटाईट और मैग्नाटाईट हैं, जिनमें 60-70% तक लोहा मिलता है. इसलिए इनकी बहुत अधिक अंतरराष्ट्रीय मांग है.
अभ्रक का सबसे बड़ा निर्यातक देश
राज्यपाल ने बताया कि भारत अभ्रक का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है, यह दुनिया भर में शुद्ध अभ्रक के कुल उत्पादन का लगभग 60 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे वह यूनाइटेड किंगडम, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका आदि को निर्यात करता है. उन्होंने कहा कि विभिन्न कंपनियों के कार्य करने के तरीके में परिवर्तन आया है. खनन उद्योग के क्षेत्र में आवश्यक है कि हमारी खनन पद्धतियां बेहतर एवं नवीन अनुसंधान पर आधारित हो. उनमें निरंतर अनुसंधान और विकास की आवश्यकता है.
राष्ट्रीय खनिज नीति 2019 लाभदायक
कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए राज्यपाल रमेश बैस ने राष्ट्रीय खनिज नीति, 2019 की सराहना की. उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य अधिक प्रभावी, सार्थक और योग्य नीतियां तैयार करना है. जो स्थायी खनन प्रथाओं के साथ ही पारदर्शिता, बेहतर विनियमन एवं प्रवर्तन, संतुलित सामाजिक तथा आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खनिज नीति, 2019 के तहत शुरू किये जाने वाले बदलावों में 'मेक इन इंडिया' पहल और लैंगिक संवेदनशीलता पर ध्यान देना शामिल है. उन्होंने कहा कि इस नीति में ई-गवर्नेंस, सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम प्रणाली, जागरूकता और सूचना अभियान शामिल किये गए हैं.
नई नीति से निवेश बढ़ेगा
राज्यपाल ने बताया कि इस नीति का उद्देश्य प्रोत्साहन के माध्यम से निजी निवेश को आकर्षित करना है. जबकि खनिज संसाधनों के डेटाबेस बनाए रखने के लिये प्रयास किए जाएंगे. नई नीति, खनिजों की निकासी और परिवहन के लिये तटीय जलमार्गों एवं अंतर्देशीय शिपिंग के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करती है साथ ही खनिजों के परिवहन को सुविधाजनक बनाने के लिए समर्पित खनिज गलियारों को प्रोत्साहित करने का भी प्रस्ताव करेगी.
विकास की असीम संभावनाएं
राज्यपाल ने कहा कि झारखंड प्राकृतिक रुप से अत्यंत ही समृद्ध है जो विविध प्रकार के खनिज संसाधनों से सम्पन्न है.यहां खनिज संपदाओं के विशाल भण्डार हैं. अपार खनिज संसाधन होने के कारण राज्य में उद्योगों के विकास की असीम संभावना है. इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स जैसी संस्था का दायित्व बनता है कि शिक्षा, स्वास्थ्य आदि विभिन्न जन-सेवा के कार्यों की दिशा में और भी आगे आयें और राष्ट्रहित में अपना और भी योगदान दें तभी सशक्त भारत की परिकल्पना पूर्ण रूप से सार्थक सिद्ध होगी.


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