Jharkhand में सुरक्षाबलों की बढ़ती ताकत, माओवादियों का घटता जनाधार

Update: 2024-12-22 07:52 GMT
Ranchi रांची: झारखंड में सुरक्षाबलों की बढ़ती ताकत से भाकपा माओवादी का जनाधार कम होते जा रहा है. पिछले सात साल के दौरान सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में झारखंड में माओवादियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. इस दौरान 109 बड़े माओवादी मारे गये. वहीं दूसरी तरफ सुरक्षाबलों को भी इस घटना में नुकसान का सामना करना पड़ा है. इस दौरान 41 जवान शहीद हुए हैं.
झारखंड में सुरक्षा बलों की तैनाती और खुफिया जानकारी जुटाने की वजह से माओवादी समस्या कुछ जिलों तक सीमित रह गयी है. जबकि एक दशक पहले माओवादियों का मुद्दा पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के लिए सबसे बड़ा चिंता का विषय था. माओवादियों को कोल्हान क्षेत्र से लगभग खदेड़ दिया गया है, जो कभी उनका गढ़ हुआ करता था.
अब वे ओडिशा के सीमावर्ती जिलों जैसे मयूरभंज और क्योंझर के साथ राज्य के सुदूर दक्षिण में सारंडा वन क्षेत्र में चले गये हैं. सबसे बड़ा माओवादी कमांडर मिसिर बेसरा और पतिराम मांझी राज्य के सारंडा वन क्षेत्र में शरण लिए हुए हैं.
पिछले सात साल में मारे गये 109 नक्सली :
– 2018 – 25
– 2019 – 31
– 2020 – 18
– 2021 – 08
– 2022 – 13
– 2023 – 14
– 2024 – 13
– कुल – 109
बीते सात सालों में 846 नक्सली हुए गिरफ्तार :
– 2018- 157
– 2019- 69
– 2020- 92
– 2021- 141
– 2022- 195
– 2023- 114
– 2024- 78
– कुल- 846
झारखंड में सिर्फ 11 नक्सलियों का दस्ता सक्रिय :
– चाईबासा जिले के जराइकेला और टोंटो थाना क्षेत्र में मिसिर बेसरा, पतिराम मांझी, सिंगरई और अजय महतो का दस्ता सक्रिय है. इस दस्ते में 65 नक्सली कैडर शामिल हैं.
– चाईबासा जिले के गोइल केरा और सोनूवा थाना क्षेत्र में मेहनत और अमित मुंडा का दस्ता सक्रिय है. इस दस्ते में 30 नक्सली कैडर हैं.
– बोकारो जिले के जागेश्वर बिहार थाना क्षेत्र में विवेक और रघुनाथ का दस्ता सक्रिय है. इस दस्ते में 23 नक्सली कैडर शामिल हैं.
– लातेहार जिले के चंदवा थाना क्षेत्र में रविंद्र गंझू का दस्ता सक्रिय है. इस दस्ते में पांच नक्सली कैडर हैं.
– चतरा जिले के लावालौंग थाना क्षेत्र में मनोहर गंझू का दस्ता सक्रिय है. इस दस्ते में तीन नक्सली कैडर शामिल हैं.
– पलामू जिले के मोहम्मदगंज और हैदरनगर थाना क्षेत्र में नितेश यादव का दस्ता सक्रिय है. इस दस्ते में छह नक्सली कैडर हैं.
डीजीपी का दावा- अगले तीन माह में चाईबासा से नक्सलियों का होगा खात्मा
डीजीपी अनुराग गुप्ता ने दावा किया है कि अगले तीन महीने में चाईबासा से नक्सलियों का खात्मा हो जायेगा. उन्होंने यह बात शनिवार को चाईबासा में पुलिस अधिकारियों के साथ हुई बैठक के दौरान कही थी. झारखंड राज्य में 95 प्रतिशत नक्सल समस्या खत्म हो चुकी है. शेष बचे पांच प्रतिशत नक्सलियों के खात्मे के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है.
भाकपा माओवादी के कमजोर होते ही छोटे-छोटे अपराधी व उग्रवादी संगठन हुए सक्रिय
झारखंड में भाकपा माओवादी संगठन के कमजोर होते ही छोटे-छोटे अपराधी और उग्रवादी संगठन सक्रिय हो गये हैं. ये रंगदारी और लेवी वसूलने के लिए वाहनों में आगजनी और गोलीबारी की घटना को अंजाम दे रहे हैं. झारखंड में नक्सलवाद की समस्या 95 फीसदी खत्म हो चुकी है. छोटे-छोटे समूह में तब्दील होकर अपराधी और उग्रवादी संगठन आगजनी के साथ-साथ व्हाट्सएप कॉल पर कारोबारियों से रंगदारी की मांग कर रहे हैं.
झारखंड के पांच जिले सिर्फ नक्सल प्रभावित
केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक, झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम, गिरिडीह, गुमला, लातेहार और लोहरदगा माओवाद प्रभावित जिले हैं. इनमें पश्चिमी सिंहभूम को अति माओवाद प्रभावित जिले की सूची में रखा गया है. जबकि शेष चार नक्सल प्रभाव वाले जिले गिरिडीह, गुमला, लातेहार व लोहरदगा डिस्ट्रिक्ट ऑफ कंर्सन (डीओसी) की लिस्ट में हैं.
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