जमशेदपुर न्यूज़: घाटशिला के किताडीह गांव के रहने वाले गंगाधर सिंह समेत छह लोगों के मोतियाबिंद ऑपरेशन में लापरवाही और नकली आंख लगाने के मामले की फिर से जांच शुरू हो गई है.
स्वास्थ्य मुख्यालय के निर्देश पर सिविल सर्जन डॉ. जुझार मांझी सारे पक्षों का बयान फिर से लेंगे और एक समग्र रिपोर्ट भेजेंगे. पूर्व में इस मामले में भेजी गई रिपोर्ट अधूरी थी, जिसमें कई बिंदु अस्पष्ट थें. इसके बाद मामले की फिर से जांच करने का निर्देश स्वास्थ्य मुख्यालय ने दिया है. घाटशिला से दो पीड़ित गंगाधर सिंह और छिता हांसदा को एमजीएम बुलाया गया, जहां सिविल सर्जन डॉ. जुझार मांझी ने उनका विस्तार से बयान लिया. गांव के चार अन्य पीड़ितों का भी बयान होना है. दोनों पीड़ितों के साथ-साथ सिविल सर्जन ने मेडिकल बोर्ड में शामिल चिकित्सक, नेत्र विभाग के एचओडी डॉ. एमएम जमाल, केसीसी अस्पताल के प्रबंधन को भी एमजीएम बुला कर बारी-बारी से बिंदुवार मामले की जानकारी ली.
मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद आंख में हो गया था इंफेक्शन गंगाधर की आंख की जांच करने वाली डॉक्टरों की टीम ने पाया था कि मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद समुचित देखभाल के अभाव में गंगाधर की एक आंख में इंफेक्शन हो गया था. यह इंफेक्शन और बढ़े नहीं और आंख से जुड़े दूसरे अंगों को नुकसान न पहुंचा सके, इसलिए इंफेक्टेड आंख निकाल कर उसमें सिंथेटिक मैटेरियल की गोली लगाई थी. यह सिंथेटिक मैटेरियल की गोली निकाले गए आंख के खाली जगह को भरने के लिए उपयोग में लाया जाता है. आंख निकालने के बाद बाहर से देखने में चेहरा काफी भयावह लगता है, इस कारण उसमें सिंथेटिक मैटेरियल की गोली लगा दी जाती है, जिसमें विजन नहीं होता है. बस आंख निकालने के बाद उसके गैप को भरा जाता है. एमजीएम अस्पताल नेत्र रोग विभाग के एचओडी डॉ. एमएम जमाल, डॉ. अजय कुमार और सर्जन डॉ. सरवर आलम ने मिलकर गंगाधर के आंख की जांच की थी.