झारखंड में मगही और भोजपुरी को क्षेत्रीय भाषा की सूची से हटाने को मिला बल, मंत्री ने कैबिनेट बैठक में रखी मांग
झारखंड में जिला स्तरीय नियुक्ति परीक्षा में मगही और भोजपुरी को हटाने की मांग तेज हो गई है।
झारखंड में जिला स्तरीय नियुक्ति परीक्षा में मगही और भोजपुरी को हटाने की मांग तेज हो गई है। स्थानीय आदिवासी संगठनों के बाद अब स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के मंत्री जगरनाथ महतो ने कैबिनेट बैठक में दोनों बोलियों को हटाने की मांग उठाई है।
मंत्री जगरनाथ महतो ने कैबिनेट बैठक में कहा कि दोनों भाषाओं को हटाना स्थानीय युवाओं के हित में जरुरी है। मंत्री ने बताया कि उन्होंने अपनी मांग मुख्यमंत्री के सामने भी रखी थी। सरकार इसपर गंभीर है और शीघ्र ही दोनों भाषाओं को हटाने का निर्णय लेगी। मीडिया से बात करते हुए मंत्री ने भाषा विवाद पर बीजेपी और ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) को घेरा है। उन्होंने दोनों पार्टियों को बिन पेंदी का लोटा बताया। महतो ने कहा कि पहले बीजेपी विधायको ने विधानसभा में भोजपुरी और मगही को क्षेत्रीय भाषा में शामिल करने का मांग किया। अब ये दोनों को क्षेत्रीय भाषा की सूची से बाहर करने की मांग कर रहे हैं।
झारखंड में भोजपुरी, मैथिली और मगही को क्षेत्रीय भाषा की सूची से हटाने को मांग को लेकर पिछले दिनों बीजेपी के पूर्व सांसद रवींद्र राय पर हमला किया गया था। गुरुवार को आदिवासी संगठनों ने इसको लेकर रांची में प्रदर्शन भी किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि राज्य में केवल नौ ही जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा है। इसलिए सरकार को भोजपुर, मगही, मैथली और अंगिका को क्षेत्रीय भाषा की सूची से हटाना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इन बाहरी भाषाओं को बाहर करने की मांग की।
14 फरवरी को विधानसभा के घेराव की चेतावनी
प्रदर्शनकारी संगठनों ने मांगे नहीं माने जाने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है। उन्होंने 28 फरवरी को रांची विधानसभा सहित प्रदेश में मानव श्रृंखला बनाने की बात कही है। साथ ही 14 मार्च को विधानसभा का घेराव करने की भी चेतावनी भी दी है।
राष्ट्रपति से भी की गई मांग
वहीं ये विवाद राष्ट्रपति भवन तक पहुंच चुका है। आजसू पार्टी के सांसद और विधायकों ने नई दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर धनबाद और बोकारो में भोजपुरी, मगही और अन्य जिलों में मैथिली-अंगिका को क्षेत्रीय भाषा की सूची से हटाने की मांग की थी। क्यों हो रहा विरोध
राज्य सरकार ने जिला स्तर पर तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियों में स्थानीय भाषा की अलग-अलग सूची जारी की। इस सूची में झारखंड की 9 जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा को शामिल किया गया। इसके साथ ही मैथिली, भोजपुरी, अंगिका और मगही को धनबाद, बोकारो, रांची सहित विभिन्न जिलों में शामिल किया गया। इसको लेकर कई आदिवासी संगठन विरोध में आ गए। उन्होंने तर्क दिया कि इससे सरकारी नौकरियों में बाहरी लोगों को लाभ मिल जाएगा। वहीं राज्य के स्थानीय युवाओं का हक छीन जाएगा।