जमशेदपुर न्यूज़: झारखंड में मानसून के आगमन के साथ ही आकाशीय बिजली और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की आशंका बढ़ गयी है. इसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने इससे बचाव के उपायों के साथ-साथ प्राकृतिक पीड़ित व्यक्तियों के समुचित उपचार को लेकर विस्तृत दिशा निर्देश जारी किया है.
अपर मुख्य सचिव ने इस बाबत राज्य के सभी सिविल सर्जन एवं जिला अस्पताल के अधीक्षकों को पत्र भेजा है.
सचिव ने कहा है कि राज्य में मौसम विज्ञान विभाग द्वारा समय-समय पर भारी बारिश की चेतावनी दी जाती है. विगत दिनों राज्य के विभिन्न जिलों से वज्रपात से मृत्यु की सूचना प्राप्त हो रही है. इससे बचाव के लिए जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें. इसके लिए लोगों को जागरूक करने का भी निर्देश दिया है. बता दें झारखंड के लगभग अधिकांश जिले वज्रपात जोन में आते हैं. बरसात के मौसम में लगभग राज्यभर में वज्रपात से घायल होने और मौत की सूचनाएं आती रहती हैं. इसके मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है.
वज्रपात आपको किस प्रकार प्रभावित कर सकता है
● डायरेक्ट स्ट्राइक वज्रपात पीड़ित को सीधे स्ट्राइक कर सकता है. यह स्थिति अत्यंत घातक होती है.
● संपर्क चोट जब बिजली किसी वस्तु कार या धातु के खंबे से टकराती है जिसे पीडित व्यक्ति छू रहा होता है. इसमें व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो सकता है.
● साइड फलैश जब बिजली छिटक जाती है या किसी वस्तु से टकरा जाती है. जैसे कि व्यक्ति पर पेड़ खंभा आदि गिर जाये .
● ग्राउंड करंट जब बिजली व्यक्ति के पास जमीन से टकराती है और ग्राउंड करंट जमीन से होकर पीड़ित को स्ट्राइक करता है. ह्ल
● स्ट्रीमर जब बिजली / वज्रपात हवा को चार्ज कर देता है तो उर्जा प्रभाव या स्ट्रीमर लोगों के माध्यम से उपर की ओर जाते है जिससे पीड़ितों को नुकसान होता है.
● धमाके से चोट बिजली के विस्फोट के कारण व्यक्ति उस स्थल से दूर तक फेंका जा सकता इस कारण उसे गहरी चोट पहुंच सकती है.
● अस्पतालों में आकाशीय बिजली-तूफान आदि प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों के लिए आपातकालीन सेवा की योजना बनाएं.
● पर्याप्त संख्या में मेडिकल स्टाफ और सुविधाएं सुनिश्चित करने की पूर्व व्यवस्था करें, ताकि अचानक समस्या खड़ी नहीं हो.
● जीवन रक्षक दवाओं की उपलब्धता सभी जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अन्तर्गत स्वास्थ्य कार्यकर्ता के पास सुनिश्चित करें.
● बहुद्देशीय कार्यकर्ताओं (एमपीडब्ल्यू), एएनएम, सहिया व सहिया पर्यवेक्षक को स्थानीय स्तर पर आपात सेवा स्थापित करने के निर्देश दें.
● जिला प्रशासन के सहयोग से स्थानीय एनजीओ, पारामेडिकल को चिन्हित कर आपात स्थिति में उनकी सेवाएं लेने की व्यवस्था करें.
● जिला आपदा प्रबंधन विभाग से समन्वय स्थापित करते हुए आपदा मित्र और अन्य का क्षमतावर्द्धन करते हुए आपात स्थिति में सेवाएं प्राप्त करें.
● वज्रपात से पीड़ित व्यक्ति को यथाशीघ्र 108 एंबुलेंस से नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर पहुंचाकर समय पर जांच तथा इलाज सुनिश्चित कराएं.