Godda गोड्डा : गोड्डा जिले के बारकोप स्टेट की दुर्गा पूजा पूरे इलाके में काफी प्रसिद्ध है. यहां 800 वर्ष से भी अधिक समय से दुर्गा पूजा हो रही है. पथरगामा प्रखंड मुख्यालय से करीब 8 किलोमीटर दूर बारकोप स्टेट का यह क्षेत्र एक प्राचीन राज्य था, जो काफी समृद्ध था. एकीकृत बिहार के भागलपुर, मुंगेर, बांका से लेकर दुमका, गोड्डा तक का इलाका बारकोप स्टेट का हिस्सा था. 1200 ई. में प्रसिद्ध खेतोरी राजघराना ने यहां दुर्गा पूजा की शुरुआत की थी. बारकोप स्टेट की पूजा आसपास के क्षेत्र के साथ-साथ बिहार व अन्य स्थानों में काफी प्रचलित थी. यहां मां दुर्गा की पूजा खेतौरी राजवंश की कुलदेवी के रूप में तांत्रिक व वैदिक पद्धति से की जाती रही है. वंशज बताते है कि महराजा देवब्रह्म के समय में मंदिर का निर्माण करवाया गया था. लेकिन पूजा उससे पहले से ही की. जा रही थी
यहां माता रानी की प्रतिमा का निर्माण बांग्ला पद्धति से होता है. पूजा की सारी परंपरा उसी वक्त में तय किए गए तरीके से की जाती है. मूर्ति का निर्माण जिउतिया पर्व के बाद महिलाओं द्वारा लाई गयी मिट्टी से शुरू किया जाता है. प्रतिमा का निर्माण बगल के खरियानी गांव के एक ही परिवार द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी की जाती रही है. महासप्तमी पूजा पर छरहा देने के लिए यहां काफी संख्या में महिलाएं पहुंचती हैं. मिट्टी के बर्तन में दूध, सिंदूर, जल से छरहा देने की परंपरा है. महाअष्टमी को डलिया चढ़ाने बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. महानवमी पूजा में बकरे की बलि दी जाती है. दशमी तिथि को विधि-विधान के साथ मां दुर्गा की भव्य आरती कर बगल के जलाशय में विसर्जन कर दिया जाता है. दुर्गा पूजा पर यहां मेला भी लगता है, जिसमे खेल-तमाशा वाले भी पहुंचते हैं.