जनता से रिश्ता वेबडेस्क : वर्ष 2021-22 में उपभोक्ताओं की 26 शिकायतें मिलीं, जिनमें 15 शिकायतें लंबित थीं। राज्य में एनएबीएल से एक भी स्टेट फूड टेस्टिंग लेबाेरेट्री को मान्यता नहीं होने तथा फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट, 2006 की धारा 43 (1) के तहत एक भी लेबोरेट्री अधिसूचित नहीं होने पर भी झारखंड अंक से वंचित हुआ। विभिन्न राज्यों की बात करें तो खाद्य सुरक्षा इंडेक्स में हरियाणा, छत्तीसगढ़, असम, तेलंगाना, बिहार, आंध प्रदेश, सिक्किम, त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड, मिजोरम तथा अरुणाचल प्रदेश की रैंकिंग झारखंड से नीचे है। अन्य सभी राज्य झारखंड से आगे हैं। कुल 82 अंक लाकर तमिलनाडु रैंकिंग में सबसे ऊपर रहा।
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार ने फूड सेफ्टी को लेकर स्टेट लेवल एडवाइजरी कमेटी तो गठित की, लेकिन वर्ष 2021-22 में इसकी एक भी बैठक नहीं हुई। केंद्र की सीएससी की बैठक में खाद्य सुरक्षा आयुक्त को शामिल नहीं होने पर भी झारखंड को दो अंक नहीं मिल पाया। इसी तरह, राज्य सरकार हाई रिस्क फूड बिजनेस आपरेटरों के मासिक तथा क्वाटरली निरीक्षण की योजना तैयार नहीं कर सकी। बाजारों, होटलों, रेस्टोरेंट आदि में लोगों को सुरक्षित खाद्य पदार्थ की उपलब्धता सुनिश्चित कराने को लेकर राज्य में की जा रही पहल संतोषजनक नही है। तभी तो राज्य खाद्य सुरक्षा इंडेक्स में झारखंड आधा अंक भी जुटा नहीं सका। विभिन्न मानकों में तय किए गए अधिकतम सौ अंकों में झारखंड महज 41.5 अंक लाकर पूरे देश में 16वें स्थान पर रहा। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकार (एफएसएसएआइ) द्वारा विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के अवसर पर सात जून को जारी रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
अलबत्ता इस दौरान 16,809 खाद्य प्रतिष्ठानों का निरीक्षण हुआ, जिससे झारखंड को चार में चार अंक प्राप्त हुए।
सोर्स-jagran