रिम्स और सदर अस्पताल में अग्निशमन यंत्र एक्सपायर

Update: 2023-01-31 06:52 GMT

राँची न्यूज़: धनबाद के हाजरा अस्पताल में हुई अगलगी की घटना के बाद रांची समेत पूरे राज्य में हड़कंप मच गया है. रांची के अस्पतालों में यदि ऐसा हादसा हुआ तो मरीजों की जान आफत में आ सकती है. इसे लेकर हिन्दुस्तान ने जब पड़ताल की तो व्यवस्था की कलई खुल गई. सदर अस्पताल और रिम्स के सुपरस्पेशलिटी ब्लॉक में आग से निपटने के लिए पुख्ता व्यवस्था नहीं मिली. दोनों जगह अग्निशमन यंत्र एक्सपायर मिले.

सदर अस्पताल में आग लगी तो यहां भर्ती रहने वाले करीब 600 मरीजों की जान पर आफत आ जाएगी. स्थिति ये है कि यहां लगे अग्निशमन यंत्र एक्सपायर हो चुके हैं. वहीं, रिम्स के सुपरस्पेशलिटी भवन में भी अग्निशामक यंत्र पिछले 2 साल से अधिक समय से एक्सपायर पड़े हैं. अगलगी हुई तो अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते यहां हर दिन भर्ती रहने वाले करीब 1700 मरीजों को बचाना मुश्किल हो जाएगा. राजधानी के कई निजी नर्सिंग होम और अस्पताल में भी फायर फाइटिंग सिस्टम फेल पड़े हैं.

वर्षों से मॉक ड्रिल तक नहीं हुई पड़ताल में पता चला कि अधिकतर निजी अस्पताल और नर्सिंग होम ऐसे हैं, जहां वर्षों से मॉक ड्रिल नहीं हुई है. सदर अस्पताल में भी मॉक ड्रिल नहीं हुई है. रिम्स में पिछले साल जून-जुलाई में मॉक ड्रिल की गई थी.

यहां अग्निशामक यंत्र एक्सपायर रिम्स के न्यू बिल्डिंग कॉर्डियोलॉजी, आंकोलॉजी व डेंटल में लगे अग्निशमन यंत्र करीब तीन साल एक्सपायर पड़े हैं.

लेकिन प्रबंधन ने इन्हें बदला नहीं है.

शहर के 75 फीसदी अस्पतालों में खतरा

शहर में 43 से अधिक छोटे-बड़े निजी अस्पताल हैं. रांची जिले में 80 छोटे-बड़े अस्पताल हैं. इनमें से दर्जनभर के पास आग से लड़ने की अपनी व्यवस्था है. इसके अलावा अधिसंख्य नर्सिंग होम में आग से निपटने के पुख्ता इंतजाम नहीं है. यहां काम करने वाले कर्मी भी इस मामले में प्रशिक्षित नहीं हैं. ऐसे में शहर के करीब 75 अस्पतालों में आग लगने की स्थिति में खतरे से इंकार नहीं किया जा सकता है. निजी तौर पर संचालित जो अस्पताल हैं, उसकी बेड क्षमता कम से कम 20 और अधिक से अधिक 250 की है.

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