राँची न्यूज़: फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जिले के सभी आनंगबाड़ी को केंद्र बनाया गया है. यहां सुबह नौ से तीन बजे तक सेविका दवा खिलाएगी. सेविका और सहिया घर-घर जाकर भी दवा खिलाएंगी. हर दिन कम से कम 20 घरों में दवा खिलाने और वॉल मार्किंग किया जाएगा. फाइलेरिया उन्मूलन के लिए बनी जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक में यह जानकारी दी गयी. अध्यक्षता उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने की. उन्होंने दिशा -निर्देशों के अनुसार सभी लोगों को खुराक देने का निर्देश दिया.
उपायुक्त ने कहा कि फाइलेरिया गंभीर बीमारी है . इसका प्रतिकूल प्रभाव लंबी समय बाद दिखाई पड़ता है. धीरे-धीरे शरीर को प्रभावित कर मूल रूप लेते हुए शरीर को क्षति पहुंचाता है. फाइलेरिया के उपचार और दवा खाने के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ग्राम गोष्ठी एवं सभा करने का उपायुक्त ने निर्देश दिये. उन्होंने कहा कि मरीजों की सूची नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र एवं हेल्थ वेलनेस सेंटर को भी दें. जल साहिया एवं स्वच्छ भारत अभियान के स्वयंसेवकों द्वारा दवा खिलाने हेतु लोगों को प्रेरित करने, स्वच्छता गाड़ी के माध्यम से फाइलेरिया रोधी दवा के सेवन हेतु प्रचार-प्रसार करने के कार्य को बेहतर ढंग से करने के निर्देश दिये. स्कूलों में प्रात वंदना के समय बच्चों एवं अध्यापकों को दवा सेवन के लिए प्रेरित कर, शपथ दिलाने के साथ-साथ उपायुक्त ने विभागीय निर्देशानुसार फाइलेरिया की दवा खिलाने के लिए प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए.
क्या है फाइलेरिया फाइलेरिया क्युलेक्स मच्छर से फैलता है, जो जमे हुए गंदे पानी में अंडे देता है. फाइलेरिया का उपचार डीईसी गोली से संभव है. यदि व्यक्ति को डीईसी एवं एलबेंडाजोल की एक खुराक वर्ष में एक बार खिलायी जाये, तो 80 से 90 प्रतिशत तक इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है.
डीईसी एवं एलबेंडाजोल की गोलियां की खुराक
● 2 से 5 वर्ष की उम्र तक के बच्चों को डीईसी की एक गोली व एलबेंडाजोल की एक गोली
● 6 से 14 वर्ष की उम्र तक के बच्चे को डीईसी की दो गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली
● 15 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को डीईसी की तीन गोली एवं ऐलबेंडाजोल की एक गोली