बिल्डर और उसके CA के खिलाफ ED का शिकंजा, 38 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त
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रांची के कांके रोड निवासी बिल्डर ज्ञान प्रकाश सरावगी उसका सहयोगी सीए अनीश अग्रवाल, अमित सरावगी, अभिषेक अग्रवाल एवं उसके छह कंपनियों पर प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने शिकंजा कसा है। ईडी ने जेल में बंद ज्ञान प्रकाश सरावगी समेत 10 लोगों के खिलाफ 75 करोड़ रुपये के मनी लाउंड्रिंग के आरोप में ईडी की विशेष अदालत में चार्जशीट(अभियोजन शिकायत) दायर कर दिया है।
चार्जशीट दाखिल होने के बाद जीपी सरावगी की मुश्किलें बढ़ गई है। जेल से निकलने का राह अब आसान नहीं रहा। ईडी ने उक्त आरोप में जीपी को 29 मार्च को गिरफ्तार किया था। आठ दिनों की पुलिस रिमांड पर पूछताछ के बाद ईडी ने छह अप्रैल को जेल भेज दिया था। तब से वह जेल में है। जीपी सरावगी ने साल 2014 में अलग-अलग समय में 75 करोड़ रुपये से अधिक का फर्जी कागजात पर लोन उठाया था। जो एनपीए हो गया। ईडी के विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने बताया कि मामले में आगे की जांच जारी है। दाखिल चार्जशीट पर तीन जून को सुनवाई होगी। सीबीआई ने 75 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी के आरोप में जुलाई 2018, अगस्त 2018 एवं जनवरी 2019 में तीन अलग-अलग केस किया है। तीनों मामलों में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कर चुकी है।
ईडी ने ज्ञान प्रकाश सरावगी एवं उसके सहयोगियों की छह करोड़ रुपये एफडी समेत 33 करोड़ 70 लाख 70 हजार से अधिक पैसे को जब्त कर लिया है। इसके अलावा 4.25 करोड़ रुपये से अधिक के मूल्य की अचल संपत्ति को जब्त किया है। ज्ञान सरावगी ने कांके के हुसीर में 10 सेल डीड के जरिए करीब 300 डिसमिल जमीन खरीदी थी। जिसे ईडी ने जब्त कर लिया है।
ज्ञान प्रकाश सरावगी, अमित सरावगी, अभिषेक अग्रवाल, अनीश अग्रवाल, मेसर्स सनबीन डीलर्स प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स ग्लोबल ट्रेडर्स, मेसर्स बद्रीकेदार उद्योग प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स सरावगी बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स, मेसर्स श्रीराम कॉमट्रेड प्राइवेट लिमिटेड, और मेसर्स द्वारिकाधीश उद्योग प्राइवेट लिमिटेड
ईडी के अधिकारियों के मुताबिक, ज्ञान प्रकाश सरावगी और अमित सरावगी ने कई शेल कंपनियां बनायी थी। लोन से मिले पैसों को इन्हीं खातों में ट्रांसफर किया गया था। पैसे ट्रांसफर किए जाने के बाद इन पैसों से अचल संपत्ति की खरीद की गई थी।
ईडी ने जांच में पाया कि ज्ञान प्रकाश सरावगी व उनके सहयोगियों ने छह कंपनियों बनायी थी। इसके जरिये जालसाजी हुई। इन कंपनियों के नाम पर बैंक ऑफ इंडिया, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया से 75 करोड़ से अधिक की जालसाजी की गई। इन कंपनियों के नाम पर लोन निकाले गए। जांच में यह पाया गया कि लोन निकासी के लिए अचल संपत्ति से जुड़े जो कागजात दिए गए थे, उन पर पूर्व से ही लोन की निकासी की जा चुकी थी। जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि इन कंपनियों के गारेंटर, निदेशक ज्ञान प्रकाश सरावगी के नजदीकी रिश्तेदार या कर्मचारी ही थे।