रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एक वॉर हीरो विशेष रूप से सम्मान दिया

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लेह में रेजांग ला वॉर मेमोरियल जाकर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान उन्होंने लड़ाई के हीरो रहे 13 कुमाऊं रेजिमेंट के ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) आरवी जटार से भी मुलाकात की.

Update: 2021-11-18 13:35 GMT

जनता से रिश्ता। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लेह में रेजांग ला वॉर मेमोरियल जाकर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान उन्होंने लड़ाई के हीरो रहे 13 कुमाऊं रेजिमेंट के ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) आरवी जटार से भी मुलाकात की. इस दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ब्रिगेडियर आरवी जटार को सम्मान देते हुए व्हीलचेयर पर बैठाकर उन्हें वॉर मेमोरियल तक ले गए. राजनाथ सिंह ने रेजांग ला युद्ध के हीरो ब्रिगेडियर (रि) आरवी जटार से मुलाकात की जानकारी साझा की है.देहरादून: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लेह में रेजांग ला वॉर मेमोरियल जाकर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान उन्होंने लड़ाई के हीरो रहे 13 कुमाऊं रेजिमेंट के ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) आरवी जटार से भी मुलाकात की. इस दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ब्रिगेडियर आरवी जटार को सम्मान देते हुए व्हीलचेयर पर बैठाकर उन्हें वॉर मेमोरियल तक ले गए. राजनाथ सिंह ने रेजांग ला युद्ध के हीरो ब्रिगेडियर (रि) आरवी जटार से मुलाकात की जानकारी साझा की है.

कुमाऊं रेजिमेंट के हीरो का सम्मान.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1962 की लड़ाई में चीन के खिलाफ बहादुरी के साथ लड़ने वाले 13 कुमाऊं रेजिमेंट के ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) आरवी जटार के सम्मान में लिखा कि,
मेरा सौभाग्य है कि आज मुझे रेजांग ला की लड़ाई में बहादुरी से लड़े ब्रिगेडियर (रि) आरवी जटार से भेंट करने का अवसर मिला. वे उस समय कंपनी कमांडर थे. उनके प्रति सम्मान के भाव से मैं अभिभूत हूं. मैं उनके साहस को नमन करता हूं. ईश्वर उन्हें स्वस्थ रखे और दीर्घायु करें. बता दें ब्रिगेडियर (रि) आरवी जटार 1962 के रेजांग ला की लड़ाई में बहादुरी से लड़े थे.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पूर्वी लद्दाख के रेजांग ला में नए सिरे से बने युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया. यहीं पर भारतीय सैनिकों ने 1962 में चीनी सेना का वीरता से मुकाबला किया था. आज ही रेजांग ला की लड़ाई को 59 साल पूरे हो रहे हैं. 1962 की रेजांग ला की लड़ाई की 59वीं वर्षगांठ पर भारत को एक नया पुनर्निर्मित युद्ध स्मारक मिलने जा रहा है. बता दें कि सेना की 13 कुमाऊं बटालियन की चार्ली कंपनी ने 18 नवंबर 1962 को लद्दाख में रेजांग ला दर्रे पर चीनी सैनिकों के हमले का जवाब दिया था. सेना की इस टुकड़ी में 120 सैनिक थे, जिनका नेतृत्व मेजर शैतान सिंह ने किया था. इस लड़ाई में टुकड़ी के कुल सैनिकों में से 110 शहीद हो गए थे. चार्ली कंपनी के पराक्रम से न केवल चीन को आगे बढ़ने से रोका जा सका बल्कि चुशुल हवाई अड्डे को भी बचाने में कामयाबी मिली. रेजांग ला पर कब्जा करने के प्रयास में चीन के कुल 1,300 सैनिक मारे गए थे.
चीन ने शुरू की थी नापाक हरकत: 1962 के युद्ध हिस्ट्री के अनुसार, चीन ने 18 नवंबर को तड़के 4 बजे भारतीय इलाके में हमला शुरू कर दिया था. चीन की सेना की मंशा लेह और चुशूल रोड लिंक को वाया दुंगती को ब्लॉक करने की थी. भारतीय जवानों ने चीन की इस हरकत का करारा जवाब दिया.
रेजांग ला भारत का गौरव: रेजांगला को इस वक्त भारत की ताकत के तौर पर देखा जाता है. यह इलाका चीनी सीमा के काफी करीब है. यहां से LAC की दूसरी तरफ साफ-साफ देखा जा सकता है. आज ये इलाका भारत का गौरव है.


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