जमशेदपुर न्यूज़: आईएमए जमशेदपुर ने भुइयांडीह में एक फर्जी डॉक्टर के क्लीनिक चलाने का भंडाफोड़ किया है. आईएमए ने बताया कि बिना वैध डिग्री के एसके महंती डॉक्टर बनकर लोगों का इलाज कर रहा है. आईएमए ने डॉक्टर के क्लीनिक की फोटो जारी की है.
सचिव डॉ. सौरभ चौधरी ने बताया कि क्लीनिक चलाने वाला फर्जी डॉक्टर कंपाउंडर है और पैथोलॉजी टेक्नीशियन की ट्रेनिंग कर भुइयांडीह में डॉक्टर बनकर लोगों का इलाज कर रहा है. क्लीनिक में लगे बोर्ड में नाम के आगे डॉक्टर और डिग्री लिखकर मरीज और उनके परिजनों को बेवकूफ बना रहा है. उन्होंने कहा कि आखिर ये फर्जी लोग इतनी हिम्मत कहां लाते हैं. क्या सारे नियम क्वालीफाइड डॉक्टर के लिए ही बने हैं. पीसीपीएनडीटी के सख्त नियम पालन के बाद आज प्रशासनिक चूक की वजह से 27 अल्ट्रासाउंड केंद्र बंद और झोला छाप चिकित्सक बिना किसी डर-भय के लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. यहीं नहीं, एक अन्य फर्जी चिकित्सक डॉ. संजय कुमार राय द्वारा जारी मेडिकल सर्टिफिकेट भी आईएमए ने जारी किया है. आईएमए का कहना है कि यह सर्टिफिकेट जाली है, जिसे संजय कुमार राय नाम के झोला छाप डॉक्टर ने अपने लेटर हेड में बनाया है. लेटर हेड में डॉक्टर के नाम के साथ डिग्री भी लिखी गई है, जिसे आईएमए ने फर्जी बताया.
पौने छह माह बाद भी 12 फर्जी डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं फर्जी डॉक्टरों की जांच के लिए गठित कमेटी पौने छह माह बाद भी मामले की जांच पूरी नहीं कर पाई है. 12 फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ आईएमए, जमशेदपुर शाखा ने शिकायत की थी, जिसके बाद 24 नवंबर 2022 को सिविल सर्जन ने तीन डॉक्टरों की जांच कमेटी का गठन किया था. कमेटी में सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. विमलेश कुमार, डॉ. कुंदन कुमार सिंह और डॉ. शैलेंद्र कुमार वर्मा शामिल थे. यह कमेटी आईएमए द्वारा उपलब्ध कराए गए 12 फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ सबूत की जांच कर निर्णय लेगी कि आरोप सही हैं अथवा गलत.
लेकिन पौने छह माह बाद भी अबतक कमेटी ने जांच पूरी नहीं की है.
इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया है और राज्य सरकार से शहर और ग्रामीण इलाके में फैले फर्जी डॉक्टरों पर की गई कार्रवाई के संबंध में रिपोर्ट मांगी है. एनएचआरसी के संज्ञान लेने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव ने सिविल सर्जन ने मामले की जांच रिपोर्ट मांगी है, ताकि एनएचआरसी को भेजी जा सके.