Chandilचांडिल : सरायकेला जिले में चौका-कांड्रा मार्ग पर खूंटी के पास नरसिंह इस्पात लिमिटेड नामक कंपनी है. कंपनी ने सरकारी वन भूमि पर कब्जा कर रखा है. कंपनी के खिलाफ 11 साल से मुकदमा चल रहा है. आरोप है कि नरसिंह इस्पात कंपनी ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट का भी पालन नहीं करती है. इस्पात कंपनी पर वन भूमि का कब्जा करने के अलावा भी अनेक तरह के आरोप हैं. जिनमें कंपनी के मालिकों द्वारा पैसे का गबन करने और कैनाल के पानी का अवैध इस्तेमाल शामिल है. कंपनी के मालिकों में हेमंत गोयल, अनिल गोयल, समेत छह लोग शामिल हैं. कंपनी का मुख्यालय कोलकाता में है. नरसिंह इस्पात कंपनी के मालिक जेल भी जा चुके हैं. कहा तो यहां तक जाता है कि सत्ता के शीर्ष तक पहुंच रखने वाले कुछ लोग हैं, जो कंपनी के मालिकों को बचाने का काम करते हैं. इसमें आयरन ओर से जुड़े कारोबारी भी शामिल हैं. यही वजह है कि कंपनी के खिलाफ वन विभाग, जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कभी कोई कार्रवाई नहीं करता.
0.55 एकड़ सरकारी भूमि पर भी कब्जा
झारखंड सरकार यह बात भी मान चुकी है कि नरसिंह इस्पात ने वन भूमि पर कब्जा किया है. कंपनी ने कुल 9.94 हेक्टेयर समेत 10.12 हेक्टेयर वन भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा है. इसके साथ ही कंपनी ने .55 एकड़ सरकारी भूमि पर भी अवैध कब्जा कर रखा है. नरसिंह इस्पात कंपनी पर आरोप है कि कुरली पीएफ में 0.24 हेक्टेयर, मुसरीबेड़ा पीएफ में 0.08 हेक्टेयर वनभूमि का अतिक्रमण किया है. इसके अलावा मुसरीकुदर पीएफ में 9.62 हेक्टयेर वन भूमि (खतियान में जंगल-झाड़ दर्ज) पर अतिक्रमण किया गया है. यही नहीं नरसिंह इस्पात कंपनी ने खूंटी मौजा के अलग-अलग प्लॉट में 0.26, 0.23 और 0.06 एकड़ सरकारी भूमि पर भी अतिक्रमण कर रखा है.
नरसिंह इस्पात कंपनी द्वारा वन भूमि पर अवैध कब्जा करने की पुष्टि आठ साल पहले ही हो चुकी है. इससे पहले वर्ष 2013 में कंपनी और इसके मालिकों के खिलाफ वनवाद (मामला) दर्ज किया गया था. कंपनी व इसके मालिकों द्वारा वन भूमि का कब्जा करने का मामला वर्ष 2016 में विधानसभा में भी उठा था. तत्कालीन विधायक साधु चरण महतो के सवालों के जवाब में राज्य सरकार ने माना था कि यह सच है कि कंपनी ने वन भूमि पर अवैध कब्जा करके कारखाना स्थापित किया है. सरकार ने यह भी जानकारी दी थी कि कंपनी के खिलाफ वर्ष 2013 में अदालत में मामला दर्ज किया गया है.
नहीं होती जन सुनवाई
नरसिंह इस्पात लिमिटेड पर यह भी आरोप है कि कंपनी ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट का पालन भी नहीं करती है. एक्ट के मुताबिक प्रदूषण को लेकर आसपास के ग्रामीण के साथ प्रति वर्ष जन सुनवाई की जानी है. कंपनी ऐसा नहीं करती है. यह कंपनी अक्सर किसी न किसी मामले में चर्चा में रहती है. आरोप है कि कंपनी में कामगारों के लिए न तो मेडिकल की सुविधा है और न ही उन्हें श्रम कानून के तहत मिलने वाली अन्य सुविधाएं दी जाती हैं