Chandil चांडिल : सूर्योपासना के महापर्व छठ को लेकर चांडिल के छठ घाटों को दुरुस्त कर उसे व्रतियों के लिए सुविधाजनक बनाने का काम अंतिम चरण में है. छठ के अवसर पर स्वर्णरेखा नदी के चांडिल के जयदा, कांदरबेड़ा, शहरबेड़ा, मानीकुई आदि घाटों पर जमशेदपुर समेत विभिन्न स्थानों से व्रती पहुंचकर भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पण करते हैं.
जयदा में छठ पर्व सेवा समिति ने कराई साफ सफाई
छठ पर्व के लिए छठ पर्व सेवा समिति की ओर से चांडिल के जयदा में स्वर्णरेखा नदी के घाट की साफ-सफाई की गई. इस अवसर पर टाटा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग 33 से नदी तक पहुंचने वाली सड़क की मरम्मत की गई. जगह-जगह मिट्टी डालकर और समतल कर उसे व्रतियों के लिए सुविधाजनक बनाया गया. स्वर्णरेखा नदी के विशाल किनारे पर यहां हजारों की संख्या में छठ व्रती भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पण कर सकते हैं. एनएच 33 के किनारे घाट रहने के कारण व्रतियों को पहुंचने में भी दिक्कत नहीं होती है.
वितरण की जाएगी जरूरत की सामग्री
समिति के मनोज राय ने इस संबंध में बताया कि जयदा घाट की साफ-सफाई कराने के अलावा यहां रोशनी की व्यवस्था की जाएगी. वहीं मेन रोड़ से नदी तक सड़क के किनारों में सजावट की जाएगी. समिति प्रतिवर्ष छठव्रतियों के लिए संध्या और सुबह के अर्घ्य के समय जरूरत के सामग्रियों का भी वितरण करती है. व्रतियों के कपड़े बदलने के लिए घेरा बनवाया गया है. यहां सभी श्रद्धालुओं के लिए चाय व बिस्कुट की भी व्यवस्था रहती है.
नहाय खाय के साथ छठ पर्व शुरू
सूर्योपासना का महापर्व छठ आज मंगलवार को नहाय खाय से शुरू हो गया है. नहाय खाय में व्रती विशेष रूप से अरवा चावल, चना का दाल और कद्दु की सब्जी खाती हैं. चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व की शुरुआत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है. पहले दिन नहाय खाय होता है. छठ महापर्व में इस दिन का खास महत्व और मान्यता है. नहाय खाय के दिन बनने वाला खाना मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी की आंच में बनाया जाता है. छठ पूजा में सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है