रांची न्यूज: झारखंड के एक और सीनियर आईएएस अधिकारी सीबीआई के रडार पर हैं। जांच एजेंसी ने आयरन ओर माइंस के आवंटन में गड़बड़ी के एक मामले में झारखंड के अपर मुख्य सचिव और विकास आयुक्त अरुण कुमार सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की तैयारी कर ली है। इसके लिए डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) से मुकदमा दर्ज करने की इजाजत मांगी गई है। सीबीआई ने इस मामले को लेकर झारखंड सरकार को भी पत्र लिखा है। जिस आयरन ओर माइन्स के आवंटन में कथित तौर पर भ्रष्टाचार हुआ है, वह झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के घाटकुरी में स्थित है। यह माइन्स वर्ष 2005 में उषा मार्टिन नामक कंपनी को आवंटित की गई थी।
आरोप है कि माइन्स के आवंटन में नियमों का उल्लंघन किया गया। उस वक्त आईएएस अरुण कुमार सिंह राज्य में माइन्स डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी थे। गड़बड़ियों की शिकायत पर सीबीआई की दिल्ली इकाई ने कथित आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत में वर्ष 2016 में एक एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें उषा मार्टिन के प्रमोटरों और खनन विभाग के अधिकारियों को आरोपी बनाया गया था। एफआईआर में कहा गया था कि खदान के आवंटन के लिए केंद्र सरकार को जो सिफारिश भेजी गई थी, उसमें राज्य सरकार के अधिकारियों ने कथित रूप से उषा मार्टिन के पक्ष में पक्षपात किया था। कंपनी ने कथित तौर पर वादा किया था कि वह हाट गम्हरिया में स्थित अपने इस्पात संयंत्र में लौह अयस्क का उपयोग करेगी। कंपनी ने राज्य सरकार को एक अंडरटेकिंग भी दी थी, लेकिन वर्ष 2012 में कंपनी ने इसे बेचने का विज्ञापन अखबार में दिया था। इसपर विभाग ने आपत्ति जताई थी। अब सीबीआई ने इस मामले में तत्कालीन माइन्स सेक्रेटरी अरुण कुमार सिंह पर एफआईआर की इजाजत मांगी है। इस संबंध में राज्य सरकार को एजेंसी ने पत्र लिखकर अपना पक्ष डीओपीटी और सीबीआई को देने को कहा है। बताया जा रहा है कि इस मामले में तत्कालीन खनन निदेशक इंद्रदेव पासवान तीन अन्य अफसरों को आरोपी बनाया गया है।