खैरबनी प्लांट पर बैठक का किया बहिष्कार

Update: 2023-06-17 12:45 GMT

जमशेदपुर न्यूज़: गोविंदपुर के पास खैरबनी में प्रस्तावित ठोस कचरा निस्तारण प्लांट के निर्माण को लेकर ग्रामीणों की ओर से लगातार विरोध जारी है. खैरबनी में होने वाली बैठक का भी ग्रामीणों ने विरोध किया है.

ग्रामसभा ने तय किया है कि प्रशासन के साथ होने वाली बैठक की सूचना ग्रामसभा को नहीं दी गई है. यदि कोई व्यक्तिगत तौर पर जाएगा तो ग्रामसभा उसकी बातों को मानने के लिए बाध्य नहीं है. ग्राम प्रधान दीकू मेलगंडी ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारी यदि बात करना चाहते हैं तो उन्हें ग्रामसभा को सूचना देनी होगी और ग्रामसभा में आकर बताना होगा. ग्रामसभा के प्रतिनिधि प्रशासनिक कार्यालय जाकर बात नहीं करेंगे. कचरा प्लांट का ग्रामीणों द्वारा लगातार किए जा रहे विरोध को देखते हुए उपायुक्त ने ग्रामीणों से संवाद स्थापित करने के लिए एक टीम गठित की है. गठित टीम में एडीसी, धालभूम के एसडीएम, डीसीएलआर, जमशेदपुर अक्षेस के विशेष पदाधिकारी, मानगो नगर निगम के कार्यपालक पदाधिकारी, आदित्यपुर नगर निगम के कार्यपालक पदाधिकारी, जमशेदपुर के बीडीओ और निर्माणकर्ता एजेंसी के प्रतिनिधि शामिल किए गए हैं.

इसमें मुखिया मुर्मू ने कहा कि खैरबनी प्लांट निर्माण में ग्रामीणों से बातचीत करनी होगी. उन्हें समझाना होगा कि खैरबनी प्लांट का निर्माण से क्या लाभ होगा. बिना ग्रामीणों की सहमति से प्लांट का निर्माण संभव नहीं हो पाएगा. खैरबनी प्लांट को लेकर प्रशासनिक बैठक में मुखिया सिंधो मुर्मू, निर्माण एजेंसी के प्रतिनिधि सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे.

मजदूर को भोजन कराने पर कैंटीन कर्मी बर्खास्त

टाटा टिमकेन में ठेका मजदूरों के समर्थन में आंदोलन करने वालों को कैंटीन में भोजन कराना महंगा पड़ गया. आंदोलन में शामिल कर्मचारी को पंच कार्ड के बिना भोजन कराने के आरोप में कैंटीन कर्मचारी को बर्खास्त कर दिया गया.

बर्खास्त कर्मचारी ने 2 माह पहले कैंटीन कार्ड से एक भूखे सहकर्मी, जिसका पंच कार्ड छूट गया था, उसे भोजन कराया था. इसपर कंपनी ने उससे माफीनामा लिखवाया था. उसी माफीनामा के आधार पर कंपनी ने 2 जून को आधार बनाकर मजदूर को बर्खास्त करने का प्रयास किया है. इसी प्रकार सैकड़ों कर्मचारी जो हड़ताल पर गए थे, उनसे माफीनामा लिखवा कर बीते से ड्यूटी देने का आश्वासन भारद्वाज इन फाकोर लिमिटेड ने दिया था.

लेकिन आज तक मजदूरों को ड्यूटी में योगदान नहीं कराया गया. 20-25 वर्षों से काम करने वाले मजदूरों को कभी भी इस प्रकार माफीनामा नहीं लिखवाया गया था

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