रांची न्यूज: झारखंड प्रदेश भाजपा ने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताते हुए इसके खिलाफ संघर्ष का संकल्प लिया है। पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की देवघर में सोमवार से शुरू हुई दोदिवसीय बैठक में इस आशय का राजनीतिक प्रस्ताव पारित किया गया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि मिशन 2024 के तहत पार्टी के नेता-कार्यकर्ता राज्य सरकार की नाकामियों और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों को बूथ स्तर तक पहुंचाएंगे। बैठक में राज्यभर से जुटे लगभग 400 डेलीगेट्स के समक्ष पार्टी ने भावी रणनीति पर चर्चा की और इसके बाद राजनीतिक विषय पर प्रस्ताव पारित किए गए। प्रदेश अध्यक्ष और सांसद दीपक प्रकाश के अलावा केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी, भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री नागेंद्र नाथ त्रिपाठी, प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी, संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह सहित कई नेताओं ने डेलीगेट्स को वर्ष 2024 में होनेवाले लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों में सफलता के लिए केंद्रीय नेतृत्व के विजन से अवगत कराया।
झारखंड से संबंधित विषयों की चर्चा के हुए कहा गया कि राज्य की जनता मौजूदा सरकार से पूरी तरह ऊब चुकी है। राज्य में संपोषित भ्रष्टाचार ने रिकॉर्ड स्थापित कर रखा है। कर्मचारी से लेकर सीएम तक करप्शन की खबर सामने आ रही है। आजाद भारत में पहली बार किसी प्रदेश के सीएम ने अपने नाम से खनन पट्टा लिया है। हेमंत सरकार में परिवारवाद का नया चेहरा उजागर हुआ है। राजनीतिक भागीदारी के साथ साथ लूट और भ्रष्टाचार में भी यह दिखता है। पार्टी जनता के हित में सड़क से सदन तक निरंतर संघर्ष करेगी।
प्रदेश कार्यसमिति ने प्रस्ताव पारित कर मोदी सरकार के करिश्माई नेतृत्व को सराहा। कहा गया कि उनके नेतृत्व में देश विश्व गुरु के तौर पर उभर रहा है। सांस्कृतिक पुनरूद्धार का लक्ष्य पूरा करने के लिए राम मंदिर का निर्माण, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, महाकाल लोक जैसे ऐतिहासिक कार्य किये गये। सर्व समावेशी और सर्व स्पर्शी निर्णयों से सबका साथ, सबका विकास का सपना साकार हो रहा है। भयानक मंदी के दौर में भी भारत की बढती अर्थव्यवस्था मोदी सरकार की नीतियों और इसके प्रति सशक्त प्रतिबद्धता पर मुहर लगाती है। भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश हो चुका है। मोदी सरकार के साहसिक निर्णयों से देश के युवा स्टार्ट अप योजना, मुद्रा योजना की बदौलत रोजगार का सृजन कर रहे हैं। जनजाति समुदाय के लिए बजट बढ़कर 21 हजार करोड़ से 86 हजार करोड़ किया गया।