धनबाद न्यूज़: फॉसिल फ्यूल यानी कोयला का उपयोग कम करने के वैश्विक दबाव में भारत नहीं आएगा. भारत की ऊर्जा सुरक्षा नीति में कोयला ऊर्जा के प्रमुख और किफायती स्रोत के रूप में जारी रहेगा. कोयला मंत्रालय ने कोल इंडिया एवं अनुषंगी कंपनियों को संदेश दिया है कि 2040 तक लगातार भारत में कोयला उत्पादन बढ़ाया जाएगा.
कोयला से प्रदूषण के स्तर में होनेवाली वृद्धि को कम करने के लिए सौर सहित अन्य गैर कोयला ऊर्जा के स्रोत विकसित कर कार्बन के असर को घटाएंगे. 2030 तक 500 गिगावाट की गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने और 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा से अपनी ऊर्जा आवश्यकता का 50 पूरा करने की योजना है ताकि ग्लासगो क्लाइमेट पैक्ट के अनुरूप स्वच्छ ऊर्जा की प्रतिबद्धता पर भी खरा उतरें. एक्सपर्ट कहते हैं कि कोयला को छोड़ना भारत के लिए संभव नहीं है. इसीलिए नई खदानें आवंटित हो रही हैं.
● 106 कोल ब्लॉक के लिए सातवें दौर की नीलामी प्रक्रिया 29 मार्च से शुरू की जा रही है
● नीलामी के छह चरणों को सफलतापूर्वक पूरा किया गया है और 87 कोयला खानों की नीलामी की गई है. इन खदानों से करीब 3000 करोड़ रुपए का राजस्व मिलने का अनुमान है.
● तीन साल में 87 कोल ब्लॉक की नीलामी, 33200 करोड़ का राजस्व और तीन लाख रोजगार के अवसर
पांच साल में सालाना कितना कोयला आयात
वर्ष कोकिंग कोल राशि खर्च ननकोकिंग कोल राशि खर्च कुल आयात कुल राशि खर्च
2018-19 51.838 720497.64 183.510 988707.26 235.348 1709204.90
2019-20 51.833 612668.32 196.704 914652.23 248.537 1527320.55
2020-21 51.198 453552.10 164.054 706688.44 215.251 1160240.54
2021-22 57.161 1029958.47 151.771 257459.99 208.934 2287418.46
2022-23 43.208 1240261.774 142.851 1872213.394 186.059 3112475.169
(कोयला मिलियन टन में और रुपए मिलियन में)