हज़ारीबाग़ : मनुष्य और पशु के प्रेम को लेकर ना जाने कितने कहानी किस्से हमलोगों ने सुना है. यही नहीं इतिहास में भी पशु प्रेम का जिक्र किया गया है. महाराणा प्रताप का चेतक और राम प्रसाद का हाथी का जिक्र सभी ने पढ़ा है. हम हजारीबाग के एक ऐसे मनुष्य और पशु की प्रेम की घटना दिखाने जा रहे हैं, जिसे देखकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे.
चौपारण प्रखंड के पपरो में शनिवार को एक ऐसी घटना घटित हुई, जिसे देख और सुनकर हर कोई चर्चा कर रहा है. दरअसल अपने मालिक की मौत पर एक बछड़े ने श्मशान घाट आ कर रोया ही नहीं, बल्कि चिता पर रखे शव का पांच बार ग्रामीण और परिवार वालों के साथ परिक्रमा किया. पूरा मामला ग्राम पपरो का है, जहां मेवालाल ठाकुर की मौत हो गई थी. जिसके पास एक गाय थी. गाय ने एक बछड़ा दिया. उसने बछड़ा को 3 माह पहले दूसरे गांव के किसान को बेच दिया. आज जब मेवालाल ठाकुर की मौत हो गई तो वह बछड़ा गांव पहुंच गया और रोने लगा. यही नहीं उसके अर्थी पर रखे शव के माथे और पैर को भी चूमा. तब तक वह वहां से नहीं हटा जब तक उसका पाथिर्व शरीर पंचतत्व में विलीन न हो गया.
एकाएक बछड़े को शव के पास आकर रंभाता देख लोगों ने पहले इसे हल्के में लिया. फिर डंडे से मारकर भगाने की कोशिश की. लेकिन उनकी आंखे तब फटी की फटी रह गई जब बछड़ा बार-बार शव के आस आने लगा. वृद्धों के कहने पर जब उसे शव के पास जाने दिया गया तो वह ढके मुंह को हटाकर चुमा और फिर पैर को चूमकर रंभाने लगा. यह दृश्य देखकर हर एक की आंखे नम हो गईं और उसे लोगों ने नि:संतान मृतक मेवालाल का पुत्र की संज्ञा देकर दाह संस्कार में शामिल भी कराया. यह पूरी घटना लोागों ने अपने कैमरे में कैद किया.
स्थानीय लोगों ने बताया कि मेवालाल की मौत शनिवार सुबह हो गयी थी. उसके परिजनों ने उसकी अंतिम यात्रा निकाली. गाजे बाजे के साथ वे श्मशान घाट पहुंचे थे. बताया कि मेवालाल ने एक गाय पाल रखी थी. उससे वह बछड़ा हुआ था. बछड़े को वह बहुत प्यार करते थे, लेकिन पैसे की तंगी के कारण तीन माह पूर्व उसे बगल के गांव पिपरा में बेच दिया था. लोग इसे चमत्कार बता रहे थे. बताया कि यह कैसे संभव है कि जिसे तीन माह पूर्व दूसरे गांव में बेच दिया गया हो. उसे अपने मालिक की मौत हो जाने की जानकरी मिल जाए और वह उसे देखने श्मशान घाट आ जाए. लोग इसे इश्वर की कृपा और पुत्र के रूप में बछड़ा का आगमन बता रहे हैं.
सोर्स -lagatar.in