जलजमाव व कीचड़ से दुर्घटनाएं

अलग-अलग इलाकों से ये समस्याएं को भेजी गईं

Update: 2023-08-14 07:24 GMT

राँची: रांची को राजधानी बने 22 साल हो गये, फिर भी मुख्य सड़कों से गलियों में पहुंचते ही गांव जैसा नजारा दिखता है. यहां न तो पक्की सड़कें हैं और न ही पक्की नालियां। बरसात में स्थिति नारकीय हो गयी है. हर वार्ड में दो-तीन मोहल्ले ऐसे हैं, जहां पक्की सड़कें और नालियां नहीं हैं। अलग-अलग वार्डों से आए सुधि पाठकों ने को अपनी पीड़ा बताई है और फोटो भी भेजे हैं।

ने जब शहर के मोहल्लों की स्थिति की पड़ताल की तो यह बात सामने आयी कि नगर निगम शहर के करीब 2.10 लाख घरों से सालाना करीब 100 करोड़ रुपये होल्डिंग टैक्स वसूल रहा है. इसके अलावा नागरिक सुविधाओं के मद में केंद्र व राज्य सरकार से हर साल करीब 100 करोड़ मिलते हैं, फिर भी 104 से अधिक मुहल्लों की 200 से अधिक कच्ची सड़कें पक्की नहीं हो सकी हैं. 400 किमी से अधिक नालियाँ कच्ची हैं। जलजमाव व कीचड़ के कारण बाइक-स्कूटी सवार दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं, वहीं पैदल चलने वाले भी फिसल कर गिरकर घायल हो रहे हैं.

अलग-अलग इलाकों से ये समस्याएं को भेजी गईं

​डोरंडा जाने वाली सड़क डिबडीह पुल के नीचे रेलवे लाइन से होकर गुजरती है. मेकॉन कॉलोनी समेत डोरंडा के हजारों निवासी रोजाना ऊबड़-खाबड़ सड़क से गुजरते हैं। बाइक सवार अक्सर दुर्घटनाग्रस्त होते रहते हैं। बारिश में यहां से गुजरना मुश्किल होता है।

लोअर चुटिया के रोड नंबर तीन में पक्की सड़क का शिलान्यास 24 अप्रैल को हुआ था, लेकिन आज तक काम शुरू नहीं हुआ. जलजमाव के कारण पैदल चलने में भी परेशानी हो रही है. यही हाल चुटिया महादेवटोली, कृष्णापुरी रोड-7 का है.

एयरपोर्ट रोड स्थित खोखला टोली में वीवीआईपी मूवमेंट होने पर इस मोहल्ले के मुहाने पर होर्डिंग-बैनर लगा दिए जाते हैं, ताकि टूटी सड़क दिखाई न दे। निगम में आवेदन देने के बाद भी सड़क नहीं बनी.

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