राँची न्यूज़: रांची के केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान सीआईपी के नशा मुक्ति केंद्र में नशा की लत छुड़ाने आने वाले मरीजों की संख्या तीस फीसदी तक बढ़ गई है. इसमें पढ़ाई करने वाले युवाओं की संख्या सर्वाधिक है.
सीआईपी के नशा मुक्ति केंद्र के प्रभारी डॉ संजय कुमार मुंडा ने बताया कि पिछले दो साल के मुकाबले नशा मुक्ति केंद्र में आने वाले मरीजों की औसत उम्र घटी है. पहले तीस से पचास साल तक के मरीज ही आते थे. अब यह उम्र घटकर 18 से 30 हो गई है. आधे से अधिक मरीज इसी उम्र के होते हैं.
उन्होंने बताया कि एक ओपीडी में पहले औसतन 10 से 12 मरीज पहुंचते थे. अब यह संख्या बढ़कर 20 से अधिक हो गई है. उन्होंने बताया कि सीआईपी के नशा मुक्ति केंद्र में 79 बेड हैं. जिसमें 40 से अधिक मरीजों की उम्र 30 साल से कम हैं. उन्होंने बताया कि अधिकतर छात्र ही होते हैं ये या तो टेक्नीकल संस्थानों में पढ़ाई करते हैं, या फिर सरकारी परीक्षा की तैयारी कर रहे होते हैं. अधिकतर मरीज गांजा और ब्राउन सुगर लेने की लत से परेशान होते हैं. डॉक्टर ने बताया कि गांजा, देशी शराब के सेवन के मामले भी बहुत अधिक पहुंचते हैं. कई मरीज ऐसे हैं जिन्हें पहले ब्राउन शुगर की आदत थी. कई बार ब्राउन शुगर आसानी से नहीं मिलने की स्थिति में वे दर्द निवारक इंजेक्शन का इस्तेमाल बहुत अधिक कर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि अधिकतर युवा फोर्टविन, ड्रामाडोल इंजेक्शन का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने जानकारी दी कि ये कैमिकल्स भी अफीम से ही बनते हैं. ब्राउन शुगर भी अफीम से ही बनता है. इस वजह से लोग इन इंजेक्शन के तरफ भी रूख कर लेते हैं.
ब्राउन शुगर के मामले अब झारखंड में भी बढ़े
डॉ संजय ने बताया कि पहले ब्राउन शुगर सेवन करने वाले मरीज दूसरे राज्यों से ही आते थे. बंगाल, छत्तीसगढ़, ओडिशा, यूपी के भी मरीज पहुंचते थे. पर कोरोना के बाद झारखंड के विभिन्न जिलों से मरीज पहुंचने लगे हैं. उन्होंने बताया कि रांची, हजारीबाग, पलामू, धनबाद और जमशेदपुर से युवा ब्राउन शुगर और गांजा की लत से परेशान सीआईपी आ रहे हैं. अधिकतर मरीज युवा हैं और वे सभी अवसाद ग्रस्त हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि इलाज के दौरान मरीजों से पूछने पर पता चलता है कि वे पहले शौक से इसका इस्तेमाल करते थे, उसके बाद लत लग गई.
कोरोना के बाद 50 से अधिक उम्र के भी बढ़ गए मरीज
डॉ संजय ने बताया कि पहले नशा मुक्ति केंद्र में सिर्फ 50 साल तक के ही मरीज पहुंचते थे. पर अब पचास से साठ साल तक के मरीजों की संख्या भी बढ़ गई है. कोरोना के बाद ही यह स्थिति उत्पन्न हुई है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में इलाज को लेकर जागरुकता बढ़ी है, इसलिए मरीजों की संख्या में भी इजाफा हुआ है.