राँची न्यूज़: झारखंड विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट पर चर्चा के बाद विभागवार अनुदान मांगों की स्वीकृति के साथ ही बजट पास हो जाएगा. 2023-24 के लिए वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने 1,16,418 करोड़ रुपए का हमीन कर बजट विधानसभा में पेश किया है. सामाजिक, आर्थिक और सामान्य क्षेत्र पर फोकस करते हुए बजट तैयार किया गया है.
वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट की समीक्षा करने के लिए वर्ष 2022-23 के आय और व्यय का आकलन जरूरी है. वर्ष 2022-23 में केंद्र और राज्य सरकार से कुल 1,01,101 करोड़ रुपए राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य था. अनुमानित लक्ष्य के विरुद्ध फरवरी 2023 तक 75,350 करोड़ रुपए अर्थात 74.53 प्रतिशत राजस्व की प्राप्ति हुई है. पूर्व के वर्षों की तुलना में राजस्व प्राप्ति की यह अच्छी उपलब्धि है, परंतु फरवरी 2023 तक योजनागत खर्च के आंकड़े संतोषजनक नहीं हैं. वित्तीय वर्ष 2022-23 में योजनामद के लिए 57,259 करोड़ रुपए खर्च करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था.
लक्ष्य के विरुद्ध फरवरी 2023 तक 35,303 करोड़ रुपए ही खर्च हुए हैं. 31 मार्च तक योजना राशि के 21,956 करोड़ खर्च करना चुनौती होगी. वर्तमान वित्तीय वर्ष में फरवरी माह तक झारखंड सरकार के पास 73,350 करोड़ रुपए उपलब्ध हैं. राशि की उपलब्धता के बावजूद फरवरी 2023 तक योजनागत राशि खर्च न कर पाना चिंता का विषय है. वित्तीय वर्ष 2022-23 में योजना मद के लिए 57,259 करोड़ रुपए कर्णांकित किया गया था, जिसे बढ़ाकर वर्ष 2023-24 में योजनाओं के लिए 70,973 करोड़ रुपए कर्णांकित किया गया है. मानव संसाधन के अभाव में इस राशि को खर्च कर पाना झारखंड सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण काम होगा.
क्रियान्वयन वर्ष की बाधाएं
वित्त मंत्री ने 2023-24 का बजट पेश करते हुए बजट को योजना क्रियान्वयन वर्ष माना है. बजट क्रियान्वयन के लिए सरकारी स्तर पर मैन पावर, निष्ठा और कुशलता की आवश्यकता होती है. झारखंड सरकार को मुख्य रूप से वाणिज्य कर, खान, भूमि राजस्व निबंधन, उत्पाद और परिवहन विभाग से स्व कर की प्राप्ति होती है. राजस्व देने वाले इन विभागों में बड़ी संख्या में वर्षों से पदाधिकारियों-कर्मियों के पद रिक्त हैं. झारखंड में इंजीनियर, डॉक्टर, प्रोफेसर तथा प्रशासनिक पदाधिकारियों का अभाव है. ऐसे में राजस्व संग्रहण और योजनागत व्यय के लिए निर्धारित कैलेंडर के अनुसार न तो राजस्व की वसूली होती है और न ही खर्च. योजना बजट के क्रियान्वयन के लिए जरूरी है कि सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों पर भर्तियां की जाएं. विभागीय मंत्री, मुख्य सचिव और सचिवों के द्वारा प्रत्येक तीन महीने में राजस्व संग्रहण और खर्च की समीक्षा की जाए. मुख्य सचिव ने पहले ही वित्त सचिव सहित सभी विभागीय सचिवों को इसकी हिदायत दी है कि योजना मद की राशि खर्च करें. वित्त विभाग बीच-बीच में योजना मद के खर्चों की गहन समीक्षा करे.