गिरिडीह : कम अवधि वाले धान की खेती करें, फायदा में रहें- सुरेंद्र सिंह

गिरिडीह (Giridih)– सुखाड़ की स्थिति को देखते हुए कृषि विभाग ने जिले के किसानों को कम अवधि में तैयार होने वाले धान की खेती करने की सलाह दी है

Update: 2022-07-22 09:29 GMT

Giridih : गिरिडीह (Giridih)– सुखाड़ की स्थिति को देखते हुए कृषि विभाग ने जिले के किसानों को कम अवधि में तैयार होने वाले धान की खेती करने की सलाह दी है. इस वर्ष आषाढ़ में भी बारिश नहीं हुई. श्रावण भी एक सप्ताह गुजर चुका है. अभी तक बारिश नहीं हुई है. खेतों में लगे बिचड़े सूख रहे हैं. धनरोपनी का समय बीतता जा रहा है. खेतों में पानी नहीं है. किसान चिंतित हैं.

ऐसी स्थिति में कम अवधि में तैयार होने वाला धान की खेती फायदाकारक रहेगा. जिला कृषि पदाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि कम अवधि वाले धान 120 दिनों में तैयार हो जाते हैं. इन धानों की किस्मों में ललाट, वंदना, अभिषेक, सहभागी, आईआर 64 और एमटीयू 1010 प्रमुख हैं. धानों की ये हाई ब्रीड नस्ल है. इस किस्म के धानों की सीधे खेतों में बुआई होती है. इसके बिचड़े का झंझट नहीं है. पानी की भी ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती. सभी प्रकार की मिट्टी में इसकी बुआई की जा सकती है. रोग व कीट प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक है. जुलाई के अंत तक इसकी बुआई की जा सकती है.
जिले में 88 हजार हेक्टेयर में धान की खेती होती है. बारिश के लिए किसान आकाश की ओर टकटकी लगा रखे हैं. सुरेंद्र सिंह ने किसानों को मोटे अनाज, दलहन व तेलहन की भी खेती करने की सलाह दी है.


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