डैम से लेकर डोभा तक में पानी होने लगा कम

Update: 2023-02-21 12:53 GMT

जमशेदपुर न्यूज़: गर्मी के दस्तक देते ही पूर्वी सिंहभूम जिले में डैम से लेकर डोभा तक का पानी सूखने लगा है. डोभा में अक्सर अप्रैल के दूसरे सप्ताह तक पानी लबालब भरा रहता है, लेकिन पिछली बार बरसात में भूजल स्तर पर्याप्त रिचार्ज नहीं होने के चलते इस बार फरवरी के दूसरे सप्ताह से ही डोभा और डैम का जलस्तर कम होने लगा.

पूर्वी सिंहभूम में लगभग 32 हजार से अधिक डोभा का निर्माण हुआ है. इनमें छोटे, मझोले और बड़े आकार के डोभा हैं. डोभा निर्माण में 23 हजार से लेकर 56 हजार तक लागत आई है. बताया गया था कि बरसात का पानी इकह्वा होने पर भूजल स्तर रिचार्ज होता रहेगा और इलाके में पानी की किल्लत नहीं होगी. डोभा से सिंचाई का भी काम होगा, पर इस बार प्रत्येक डोभा में पानी का स्तर कम हुआ है. बड़े डोभा और कुएं में लगभग एक मीटर तक जलस्तर गिरा है. इसी तरह चांडिल डैम का फरवरी 2022 में जलस्तर 180.10 मीटर था, जबकि इस बार फरवरी 2023 में 179.50 मीटर जलस्तर है. बारिश नहीं हुई तो डैम का जलस्तर एक मीटर और नीचे चला जाएगा. डैम का पानी जरूरत के हिसाब से भी बहाया जाता है. भू-गर्भ जलस्तर को बढ़ाने के लिए 2016 में तत्कालीन रघुवर दास की सरकार ने डोभा निर्माण की मुहिम शुरू की थी. पूरे राज्य में इस अभियान को जोर शोर से शुरू किया गया, लेकिन इसे लेकर राजनीति भी जमकर हुई, क्योंकि डोभा में डूबने से राज्यभर में तकरीबन 40 लोगों की मौत हो गई थी.

उस दौरान पूर्वी सिंहभूम में छह घटनाएं डोभा में डूबकर हुई थीं. इसके सरकार बदलते ही डोभा का निर्माण भी बंद हो गया.

भूजल दोहन के कारण बढ़ रही किल्लत

सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के वैज्ञानिक जीडी राय का कहना है कि भूजल का अत्यधिक दोहन के चलते जलस्तर नीचे जा रहा है. नदी और जलाशयों के पानी का अत्यधिक इस्तेमाल करने से ही जलस्तर गिरने से रोका जा सकता है.

जलाशय और चेकडैम को बचाना होगा

जिला पार्षद सूरज मंडल का कहना है जल संकट को लेकर सरकार को अप्रैल का इंतजार करने के बजाय तुरंत बैठक बुलानी चाहिए और प्रखंड स्तर पर कंट्रोल रूम का गठन करना चाहिए, ताकि भीषण डल संकट से इलाके को बचाया जा सके.

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