पीओजेके के लिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा में आरक्षित सीटों को खोलने की उठी आवाज

परिसीमन आयोग की दो दिन पहले विस्थापितों के लिए कुछ सीटों का प्रावधान करने की सिफारिश के बाद पीओजेके के लिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा में आरक्षित सीटों को खोलने की आवाज उठने लगी है

Update: 2022-05-09 08:30 GMT

परिसीमन आयोग की दो दिन पहले विस्थापितों के लिए कुछ सीटों का प्रावधान करने की सिफारिश के बाद पीओजेके के लिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा में आरक्षित सीटों को खोलने की आवाज उठने लगी है। संघ परिवार की ओर से रविवार को आयोजित पुण्य भूमि स्मरण सभा में देशभर से जुटे विस्थापितों ने आरक्षित 24 में से आठ सीटें खोलने की हुंकार भरी।

पीओजेके को आजाद कराने के गगनभेदी नारों के बीच सभा में कहा गया कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 24 सीटों का प्रावधान किया गया है। ये सभी सीटें खाली पड़ी हैं। वहां के विस्थापित जो पूरे देशभर में फैले हुए हैं, उन्होंने भारी दुख सहा है। अब भी उनकी आंखें बीते दिनों को याद कर छलक पड़ती हैं। कई लोगों का पूरा परिवार खत्म हो गया था। अब भी उन्हें उनके बचपन के दिन और मंदिरों के घंटे घड़ियाल की आवाज सुनाई देती हैं।
विस्थापितों को राजनीतिक रूप से सशक्त करने के लिए जरूरी है कि वहां की आठ सीटें खोल दी जाएं ताकि उन पर नुमाइंदगी हो सके। इससे विस्थापितों का दुख-दर्द सुनने वाला कोई सामने होगा। सभा में संसद में 22 फरवरी 1994 को पास उस प्रस्ताव की भी चर्चा की गई, जिसमें पाकिस्तान के कब्जे वाले भाग को अपना बताते हुए संकल्प पारित किया गया था कि पाकिस्तान को उस भूभाग को छोड़ना ही होगा। सभा में विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन, महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव समेत तमाम वक्ताओं ने कहा कि अब वह दिन दूर नहीं जब हम अपनी मातृभूमि का स्पर्श कर पाएंगे। अनुच्छेद 370 हटा और तमाम बदलाव आए। अब पीओजेके की बारी है।
तिरंगों के साथ पूरा माहौल देशभक्ति में डूबा
जम्मू के गांधीनगर महिला कॉलेज में आयोजित समारोह स्थल तिरंगे झंडों से पटा पड़ा था। भारत माता की जय और वंदे मातरम के गगनभेदी नारे गूंज रहे थे। देशभक्ति गीत भी बज रहे थे। समारोह स्थल पूरा तिरंगे रंग में रंगा हुआ था। सड़कों के किनारे भी तिरंगे ही तिरंगे नजर आ रहे थे। समारोह स्थल में तिरंगों के साथ नारे लगाता हुआ जितना हुजूम प्रवेश कर रहा था, उतना ही हुजूम सभास्थल से बाहर भी बाहर निकल रहा था।
आई लव पीओजेके
आई लव पीओजेके वाले सेल्फी प्वाइंट पर सेल्फी लेने के लिए पीओजेके विस्थापितों की भारी भीड़ जुटी रही। एक ग्रुप सेल्फी लेकर वहां से हटता तो दूसरा ग्रुप पहुंच जाता। पूरे समय तक लोग अपनी बारी की प्रतीक्षा करते रहे। सेल्फी लेने के दौरान भारत माता की जय, वंदे मातरम के साथ ही आई लव पीओजेके के नारे लगते रहे। दिल्ली से आए विश्व कुमार और हिमाचल के ऊना की रजनी ने बताया कि उन्होंने वह सब मंजर तो नहीं देखा है लेकिन मातृभूमि के पास जाने की इच्छा है। आज संकल्प लिया गया है कि वे पीओजेके को वापस लाने के लिए संघर्ष करेंगे
मंदिरों व नरसंहार से नई पीढ़ी को कराया अवगत
समारोह स्थल पर पीओजेके के मंदिरों, पाकिस्तान की बर्बरता, कायरता और नरसंहार की जानकारी देने के लिए पूरा विवरण फ्लैक्स के माध्यम से प्रदर्शित किया गया। समारोह स्थल पर कब क्या हुआ और कैसे पाकिस्तान ने बर्बरता की, इसकी पूरी जानकारी थी। कबायली हमले में मारे गए लोगों के नाम भी प्रदर्शित किए गए। कार्यक्रम आयोजित करने वाली संस्था जम्मू-कश्मीर पीपुल्स फोरम के सदस्य अशोक गुप्ता ने बताया कि इसका मकसद नई पीढ़ी को सच से रूबरू कराना भी था। यह बताना उद्देश्य था कि पूर्वजों ने किस प्रकार की बर्बरता सही है। कैसे उन्हें विस्थापित होना पड़ा। उम्मीद है कि इससे विस्थापित समुदाय में जागरूकता बढ़ेगी।
अनुच्छेद 370 बना इतिहास, पीओजेके को फि र से हासिल करना जल्द ही बनेगा हकीकत
विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 370 अब इतिहास बन गया है। पाकिस्तान और चीन के अवैध कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर को फिर से हासिल करना जल्द ही हकीकत बन जाएगा। वे 22 अक्तूबर 1947 को पाकिस्तानी हमले में मारे गए लोगों को सामूहिक श्रद्धांजलि देने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित जम्मू-कश्मीर पीपुल्स फोरम की ओर से जम्मू में आयोजित पुण्य भूमि स्मरण सभा में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि चाहे आप मुआवजा चाहते हों या अपने पूर्वजों और शारदा पीठ जैसे धार्मिक स्थलों की जमीन, आपने जो संकल्प लिया है वह जल्द ही वास्तविकता बनने वाला है। यह मुद्दा हिंदू और मुस्लिम से संबंधित नहीं है क्योंकि 1947 में पाकिस्तानी हमलावरों ने कई राष्ट्रवादी मुसलमानों को भी मार डाला था। नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी का नाम लिए बगैर कहा कि जम्मू-कश्मीर पर पिछले कई दशकों में शासन करने वाले कुछ परिवारों की भूमिका समाप्त हो गई है। अब जम्मू-कश्मीर में केवल देश और राज्य की जनता का शासन चलेगा। कहा कि अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया है और अब इसकी बहाली संभव नहीं है। यह इतिहास का हिस्सा बन गया है।
उन्होंने कहा कि 1994 में देश की संसद ने प्रस्ताव पारित किया था उस संकल्प को पूरा करने का अब सही समय है। मीरपुर, मुजफ्फराबाद, गिलगिट बाल्टिस्तान के बिना जम्मू-कश्मीर अधूरा है और इसे पाकिस्तान के अवैध कब्जे से मुक्त करवाकर पूरा जम्मू-कश्मीर एक होना चाहिए। उन्होंने कहा, पीओजेके विस्थापितों पर कश्मीर फाइल्स-2 बनाई जाए ताकि पूरा विश्व पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर की सच्चाई को जान सके।
रैली में शामिल होने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने शहर के विभिन्न हिस्सों से तिरंगा यात्रा का नेतृत्व किया। इस रैली में पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के विस्थापित लोगों ने भी हिस्सा लिया जो राज्य से और राज्य के बाहर से आए थे। इनके अलावा इसमें पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव, फिल्म अभिनेता और निर्माता मुकेश ऋषि भी शामिल हुए।
वह दिन दूर नहीं, जब जम्मू से मीरपुर के लिए ट्रेन चलेगी- मुकेश ऋषि
जम्मू-कश्मीर के पूरे खंड को एकजुट करने का समय आ गया है। अब वह दिन दूर नहीं है जब जम्मू से आवाज आएगी। लेडीज एंड जेंटलमैन... जम्मू से मीरपुर पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र के लिए ट्रेन आधे घंटे में चलने वाली है। आप से निवेदन है कि आप अपना-अपना स्थान ग्रहण करें। ऐसे ही इंडियन एयरलाइंस की भी घोषणा होगी। यह शब्द फिल्म अभिनेता मुकेश ऋषि ने रविवार को राजकीय महिला कालेज गांधीनगर में पीओजेके रिफ्यूजियों की पुण्य भूमि स्मरण सभा में कहे। मुकेश ऋषि का परिवार भी मीरपुर से विस्थापित होकर जम्मू में बसा था।
मीरपुर की गली मेरे खून में
सन् 1927 में मीरपुर कोटली, भिंबर, मुजफ्फराबाद में घटे घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे बुजुर्ग पाकिस्तानी कबायलियों से लड़े। उन्होंने हम सब को जिंदा व खुशहाल देखने के लिए अपना बलिदान दिया। हम उनके बलिदान को कभी भुला नहीं सकते। कहा कि पीओजेके से विस्थापित होकर अन्य क्षेत्रों में जाकर रहने वाले लोग आज तक सही तरीके से नहीं बस पाए हैं। मेहनत मजदूरी की और अपने हिस्से की जमीन आज तक ढूंढते रहे लेकिन नाम मिला पीओजेके। उनके लिए परेशानियां ही परेशानियां थीं, लेकिन ये लोग घबराए नहीं। आज यह सबके सामने सीना ठोक कर खड़े हैं।
उन्होंने कहा कि चाहे वह मीरपुर हो या कोटली, किसने हक दिया था कि कोई हमसे हमारी गलियां छीन ले, लेकिन यह हक छीने गए हैं। मैं दुनिया में कहीं भी बस जाऊं। किसी भी बड़ी से बड़ी इमारत में बस जाऊं, मीरपुर की गली मेरे खून में है, जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता। उन्होंने कहा कि आज हम सब एक ही कश्ती में सवार हैं और हमारे एकजुट होने का समय आ गया है।


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