सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख यासीन मलिक की व्यक्तिगत पेशी पर नाराजगी जताई। साथ ही कहा कि जब कोई आदेश पारित नहीं किया गया तो उन्हें यहां क्यों लाया गया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यासीन मलिक की पेशी पर भी चिंता जताई। सुप्रीम कोर्ट जम्मू की कोर्ट के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। सुनवाई शुरू होते ही जस्टिस सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि जस्टिस दत्ता इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते। सुनवाई के दौरान मलिक अदालत में मौजूद था। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि शीर्ष अदालत द्वारा ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया गया था कि यासीन मलिक को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश किया जाना चाहिए, सुरक्षा का एक बड़ा मुद्दा है और वह हाई रिस्क वाला कैदी है और उसे जेल से बाहर नहीं निकाला जा सकता है।